छत्तीसगढ़ के लेखक का हुआ सम्मान कश्मीर में..


फारुख अब्दुल्ला आ रहे 23 दिसम्बर को रायपुर..

दिल्ली / रायपुर । तीन बार के जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्ला 23 दिसम्बर को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर , ऐक वैवाहिक समारोह में शामिल होने आ रहे हैं। लेखक शिव ग्वालानी के निमंत्रण पर छत्तीसगढ़ आने की बात उन्होंने कही है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने लेखक शिव ग्वालानी को बधाई देते हुये कहा की उन्होंने कशमीरियत के बारे में, कश्मीरी दोस्ती, कशमीरी मेहमाननवाजी के बारे में अपनी किताब में जो लिखा है उसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।

फारुख अब्दुल्ला ने कहा की आज पूरे देश में कशमरियों के प्रति अविश्वास का माहौल बनाया जा रहा है, ईस नफरत भरे माहौल में चालीस साल पुराने दोस्त को ढूंढने कश्मीर आना और अपनी किताब में कशमीरी मोहब्बत को लिखना बहुत ही धन्यवाद का काम है।                                  
फारुख अब्दुल्ला ने ईस मुहब्बत भरे पैगाम को स्वीकार करते हुये कहा की उनकी उम्र हो चली है, ईंशाअल्लाह मैं छत्तीसगढ़ जरूर आऊंगा और उन्होंने अपने पी.ऐस रफीक साहेब से छत्तीसगढ़ की सरकार को उनके 23 दिसम्बर को रायपुर आने की सूचना देने की बात कही।      
ईस मुलाकात के दौरान लेखक ने जम्मू कश्मीर के अनेक ज्वलंत गंभीर मुद्दों पर उनसे चर्चा की.
लेखक शिव ग्वालानी चालीस साल पहले बने उनके मित्र शफीक खान की खोज खबर लेने पूर्व पार्षद रहीं अपनी पत्नी कविता के साथ कश्मीर गये थे . खोज खबर निकालने के दौरान लेखक ने कश्मीर के कवि सईद अब्बास जौहर, कश्मीर उजमा अखबार, ग्रेटर कश्मीर अखबार के पत्रकारों के साथ, कशमीरी पंडितों, कश्मीर यूनिवर्सिटी के छात्रों, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और कांग्रेस पार्टी के अनेक पदाधिकारियों, अनेक व्यापारियों, जम्मू कश्मीर पुलिस के जवानों, अनेक बीएसफ, सीआरपीएफ, आर्मी के जवानों के साथ साथ स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात की.आम जनता की तकलीफ का भी अध्ययन किया और अपने लेखन के माध्यम से उनकी बातें प्रापर फोरम में रखने की बात कही.

लेखक का सम्मान   

कश्मीर के डल झील के किनारे होटल ग्रांड ममता में सिंधी समाज के चकरभाटा बिलासपुर के लाल सांई साहेब पूरे देश के लगभग 150 लोगों के सिंधी समाज के जत्थे के साथ कश्मीर भ्रमण पर आये हुये थे. वहां लाल सांई ने एक जलसे के दौरान लेखक शिव ग्वालानी और पूर्व पार्षद कविता ग्वालानी का पखर डाल कर सम्मान किया और कहा की देश की ऐकता और अखंडता के लिए धर्मों से उपर उठकर मुहब्बत, ईंसानियत, मानवता के लिए काम करने की आवश्यकता है जिसे लेखक और लेखिका बखूबी कर रहे हैं।

जलसे को संबोधित करते हुये शिव ग्वालानी ने चालीस साल पुराने संस्मरण सुनाते हुये कहा की कश्मीर में कशमीरी मुहब्बत आज भी वैसी ही है, पर्यटकों को आम कश्मीरी आज भी बहुत प्यार और स्नेह दे रहे हैं. लेखक ने लाल सांई को साधूवाद देते हुये कहा की धार्मिक वातावरण से उपर आकर वे हिंदू मुस्लिम ऐकता की अलख जगा रहे हैं , ईसके लिए समूचा देश उनका आभारी रहेगा..।
ईस अवसर पर रायपुर, बिलासपुर के अनेक मुखी, सामाजिक कार्यकर्ता और सिंधी समाज के और मुस्लिम समाज के लोग उपस्थित थे।

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