तेरे वजूद में गुरुर है तो मेरे वजूद में खुद्दारी है….. किस्मत और हौसले की जंग अभी जारी है…..

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )    

देश के अगले राष्ट्रपति चुनाव की हलचल तेज है। पहली बार कांग्रेस और भाजपा के विधायकों ने नामांकन पत्रों पर हस्ताक्षर किये हैं और मतदान में भी हिस्सा लेंगे। वैसे इतिहास गवाह है कि कभी राष्ट्रपति चुनाव में छ्ग के वरिष्ठ कॉंग्रेसी स्व.श्यामाचरण शुक्ल और उनके अनुज स्व.विद्याचरण शुक्ल अलग-अलग प्रत्याशी के समर्थन में रहे थे…।      वर्तमान राष्ट्रपति चुनाव में तो फिलहाल एनडीए की प्रत्याशी द्रोपदी मुर्मू का पलड़ा बहुत भारी दिख रहा है इधर विपक्ष के उम्मीदवार जसवंत सिन्हा भी जोर लगा रहे हैं।अब सशक्त उम्मीदवार को वोट देने ‘अंतर्रात्मा की आवाज’ पर मतदान के स्वर भी सुनाई दे रहे हैं। भारत का इतिहास गवाह है कि अंतर्रात्मा की आवाज पर मतदान के चलते तब देश तथा कई प्रदेशों में काबिज कांग्रेस पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी नीलम संजीवा रेड्डी चुनाव हार गये थे तथा इंदिरा गांधी समर्थक वराहगिरी वेंकट गिरी राष्ट्रपति बन गये थे…..।
बात सन 1969 की है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन के आकस्मिक निधन के पश्चात उपराष्ट्रपति व्ही.व्ही. गिरी कार्यवाहक राष्ट्रपति बनाये गये। तब कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष एस.निजलिंगप्पा,
कामराज, मोरारजी देसाई आदि ने इंदिरागांधी की मर्जी के खिलाफ नीलम संजीवा रेड्डी को राष्ट्रपति का प्रत्याशी घोषित कर दिया। तब इंदिरा गांधी ने वी.वी. गिरी को अपना उम्मीदवार घोषित किया…..उन्होंने कांग्रेस के सांसदों, विधायकों सहित विपक्षी दलों के मतदाताओं से भी ‘अंतर्रात्मा की आवाज’ पर मतदान करने की अपील की। 16 अगस्त 1969 को मतदान हुआ और 20 अगस्त को मतगणना में व्ही.व्ही. गिरी विजयी हुए। उसी के बाद कांग्रेस पार्टी में पहली बार विभाजन हुआ। यह बात और है कि आपातकाल के बाद 1977 में जनता पार्टी की सरकार बनी और नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति बने थे। यहां यह भी उल्लेखनीय है इंदिरा गांधी के ‘अंतर्रात्मा की आवाज’ पर राष्ट्रपति के लिए मतदान की अपील का अविभाजित मप्र के मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल ने विरोध किया था और बाद में श्यामाचरण शुक्ल को मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया और प्रकाशचंद सेठी को सीएम बनाया गया था । उस समय विद्याचरण शुक्ल पूरी तरह इंदिरा गांधी के साथ रहे थे…..।

शिंजो आबे की हत्या
और ‘अग्निपथ एंगल’..?

जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की हाल ही में गोली मारकर हत्या कर दी गई। वहीं अब ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस पार्टी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए शिंजो आबे की हत्या को “अग्निपथ भर्ती” योजना से जोड़ा है। पार्टी के मुखपत्र ‘जागो बांग्ला’ में प्रकाशित एक फ्रंट-पेज की स्टोरी में टीएमसी ने पूर्व जापानी पीएम शिंजो आबे की हत्या को केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना से जोड़कर निशाना साधा है।टीएमसी ने कहा कि आबे की हत्या एक पूर्व जापानी रक्षा कर्मी ने की थी, जिसे पेंशन नहीं मिल रही थी……?

माननीयों का वेतन,
भत्ता बढ़ाने की तैयारी…   

भूपेश सरकार दूसरी बार मंत्री-विधायकों का वेतन और भत्ता बढ़ाने जा रही है। इस सिलसिले में विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक पेश किया जाएगा। मंत्रिमंडल की बैठक में इसे मंजूरी मिल चुकी है।सूत्रों के अनुसार हरेक मंत्री- विधायक के वेतन भत्ते में करीब 30 से 40 हजार तक की बढ़ोत्तरी संभव है।दो साल पहले के 28 अगस्त 2020 को पावस सत्र में मंत्री-विधायकों के वेतन और भत्ते बढ़ाने के विधेयक को मंजूरी दी गई थी।वर्तमान में विधायक को भत्ते समेत करीब एक लाख 10 हजार रुपये का वेतन मिलता है। बढ़ोत्तरी के बाद न्यूनतम वेतन भत्ते समेत एक लाख 40 हजार रुपये तक हो जाएगी? कहा जा रहा है कि बढ़ोत्तरी के प्रस्ताव के बाद भी मंत्री विधायकों का वेतनभत्ता दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, तेलंगाना सहित कई राज्यों से कम है।बताया गया कि विधायकों को वेतन के रूप में 20 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। निर्वाचन क्षेत्र के लिए 30 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। दूरभाष भत्ता के रूप में इनको पांच हजार रुपए प्रतिमाह मिलता है। अर्दली भत्ता के रूप में विधायक के खाते में 15 हजार रुपए प्रतिमाह आते हैं। दैनिक भत्ता के रूप में एक विधायक को प्रतिदिन एक हजार रुपए के हिसाब से महीने के 30 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। यही नहीं, विधायकों को चिकित्सा भत्ता के रूप में 10 हजार रुपए प्रतिमाह मिलते हैं। इस तरह कुल एक लाख 10 हजार रुपये मिलते हैं।
विधानसभा अध्यक्ष को 32 हजार रुपये वेतन, निर्वाचन भत्ता 40 हजार रुपये, 2 हजार रुपये दैनिक भत्ता देय होता है। इसी तरह नेता प्रतिपक्ष को 30 हजार रुपये वेतन, 40 हजार रुपये निर्वाचन भत्ता, 2 हजार रुपये प्रतिमाह दैनिक भत्ता, विस उपाध्यक्ष को 28 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन, 40 हजार रुपये निर्वाचन भत्ता, और 2 हजार रुपये दैनिक भत्ता देय है। इसके अलावा सीएम को 35 हजार रुपये वेतन, मंत्रियों को 30 हजार रुपये, और संसदीय सचिव को 21 हजार रुपये वेतन, 40 हजार रुपये निर्वाचन भत्ता मिलता है। इसके अलावा दो हजार रुपये दैनिक भत्ता देय है। इस बढ़ोत्तरी से सरकारी खजाने पर करीब 36 लाख रुपये प्रतिमाह का बोझ बढ़ेगा।

अशोक जुनेजा केंद्र
में डीजी इम्पेनल…    

छ्ग के पुलिस महानिदेशक अशोक जूनजा केंद्र में डीजीपी इम्पेनल हो गये हैं. इसके पहले छ्ग में केवल विश्वरंजन ही इम्पेनल हुए थे। डीजी इम्पेनल का मतलब होता है कि यदि कभी जुनेजा प्रतिनियुक्ति में गये तो उन्हें डीजी का ओहदा केंद्र में मिलेगा हालांकि उनके प्रतिनियुक्ति में जाने क़ी कोई संभावना नहीं है। छ्ग में आईपीएस प्रशिक्षण से लेकर डीजी का सफऱ जुनेजा ने पूरा किया है। यहाँ यह बताना जरुरी है कि छग के मुख्य सचिव अमिताभ जैन (आईएएस 1989 बैच) भी केंद्र में सचिव पद के लिए पिछले साल इम्पेनल हो चुके हैँ इसका मतलब यह है कि वे भविष्य में कभी केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर जाना चाहें तो उन्हें सचिव पद पर नियुक्ति मिलेगी वैसे छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद अमिताभ चौथे आईएएस हैं जिन्हें केंद्र में सचिव पद पर इम्पेनल हुआ है। इसके पहले मुख्य सचिव सुनील कुमार भी इम्पेनल हो चुके हैं पर जब वे इम्पेनल हुए थे तब उनके पास नौकरी के लिए अधिक समय नहीं बचा था। छत्तीसगढ़ से अंतराज्यीय प्रतिनियुक्ति पर गये वीवी आर सुब्रमणयम अभी केंद्र में सचिव हैं।

और अब बस…..

0गरियाबंद में कलेक्टर तथा एसपी रहे निलेश क्षीरसागर तथा भोजराम पटेल फिर महासमुंद में साथ साथ हो गये हैँ..।
0छ्ग की राजधानी रायपुर में शहर और ग्रामीण क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी दो राठौर (सुखनंदन और कीर्तन)पर रहेगी।
0एक सूर्यकान्त तिवारी (महासमुंद) की चर्चा तेज है, कांगेस, भाजपा नेताओं से इसकी निकटता रही है वहीं छ्ग के पहले सीऍम अजीत जोगी के निकट भी एक सूर्यकांत तिवारी (रायपुर)था, जिसे तारु जग्गी हत्याकांड में सीबी आई ने बहुत परेशान किया था।

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