आँखों के परदे नम हो गये… बातों के सिलसिले कम हो गये … पता नही गलती किसकी है… वक्त बुरा है या हम बुरे हो गये …

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )          

कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश में कई दिनों तक पूरी तरह से लॉकडाउन लागू कर दिया गया था. भारतीय रेल्वे की सेवाओं को भी निलंबित कर दिया गया था, जिसके बाद जब ट्रेनों को फिर से चालू किया गया तब तकरीबन चार करोड़ वरिष्ठ नागरिकों (सीनियर सिटीजन) को अपनी यात्रा के लिए पूरा किराया देने के लिये मजबूर होना पड़ा…. रेलवे ने कोरोना काल में टिकिट पर सभी तरह की छूट पर रोक लगा रखी है लेकिन लोकसभा के मौजूदा और पूर्व सदस्यों के लिए छूट की सुविधा चालू है ….बीते 5 साल में ट्रेनों में सांसदों को नि:शुल्क यात्रा से 62 करोड़ रु का भार झेलना पड़ा है. पूर्व सांसद भी अपने किसी साथी के साथ एसी-2टियर में या अकेले एसी-1टियर में नि:शुल्क यात्रा करने की पात्रता रखते हैं.इस बारे में सूचना के अधिकार के तहत मप्र के चंद्रशेखर गौड़ ने लोकसभा सचिवालय से जानकारी मांगी थी. जवाब में पता चला कि वर्ष 2017-18 और 2021-22 में वर्तमान सांसदों की यात्रा के बदले में रेलवे की ओर से 35.21 करोड़ रु का बिल बना है. वहीं पूर्व सांसदों की यात्रा के लिए 26.82 करोड़ रु का बिल आया है. कुल मिलकर 62.03 करोड़ रु का नुकसान रेल्वे को हुआ है।रेलवे ने कहा है कि 22 मार्च, 2020 से सितंबर 2021 के बीच 3 करोड़ 78लाख50,हजार 668 वरिष्ठ नागरिकों ने ट्रेनों में यात्रा की है। वरिष्ठ नागरिकों को भारतीय रेल्वे द्वारा महिलाओं को 50 फीसदी छूट मिलती है, जबकि पुरुषों को 40 फीसदी रियायत मिलती है. जिसके लिए महिलाओं की न्यूनतम आयु सीमा 58 साल और पुरुषों के लिए 60 वर्ष है। रेल्वे ने कोरोना के समय से बुजुर्गो को रेल टिकिट पऱ रियायत स्थगित कर रखी है…..।

सोनिया,राहुल के साथ
भूपेश का भी इंतजार…    

गिरी या पर्वत से घिरे होने के कारण क्षेत्र का नाम गरियाबंद पड़ा , पहले उसका नाम गिरिबंद था। मान्यता है कि जगन्नाथपुरी में भोग लगाने के लिए चांवल इसी जिले के देवभोग से भेजा जाता था। बहरहाल आदिवासी बाहुल्य इस जिले में विशेष जनजाति ‘कमार’ का भी निवास है और वरिष्ठ पत्रकार स्व.राजनारायण मिश्रा की एक रिपोर्ट ‘अनजाने गांव की पहली पहचान’ पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी अपनी पत्नी सोनिया गांधी के साथ इसी जिले के कुल्हाड़ी घाट (मैनपुर विकासखंड मुख्यालय से 17 कि.मी. दूर) में आकर ‘कमार’ जनजातियों के लोगों से रूबरू हुए थे तब उन्हें तेंदू फल खिलाने वाली बोल्दी बाई भी अब नहीं रही….। सीएम भूपेश बघेल के भेंट मुलाक़ात कार्यक्रम के चलते राजीव-सोनिया के कार्यक्रम का कव्हरेज करने की याद ताजा हो रही है। वैसे 15 सालों तक भाजपा की प्रदेश सरकार के समय उपेक्षित रहने वाले कुल्हाड़ी घाट अब सीएम भूपेश बघेल की नजर में है, छग की तत्कालीन रास सदस्य मोहसिना किदवई ने राजीव-सोनिया की यात्रा के 29 साल बाद कुल्हाड़ी घाट को गोद लेने की घोषणा की थी पर कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो सकी…वैसे नई राज्य सभा सदस्य रंजीता रंजन काफ़ी संवेदनशील हैं क्या वे कुल्हाड़ीघाट और कमार जनजाति को लेकर कोई निर्णय लेंगी….? बहरहाल कमारों की आर्थिक, सामाजिक हालात में अभी भी अपेक्षित सुधार नहीं आया है ….? राजीव-सोनिया को तेंदू खिलाने वाली बोल्दी बाई का कच्चा मकान आज भी है अब उसके नाती पोते ही बचे हैँ…. आज के दौर में पीऍम नरेन्द्र मोदी पत्रकारों से चर्चा करने से परहेज करते हैं (अपने पसंदीदा पत्रकारों को छोड़कर) पत्रकारवार्ता भी नहीं लेते हैं वहीं एक वह भी दौर था जब इंदिरा गांधी की असमायिक हत्या के बाद विमान उड़ानेवाले,पेशे से पायलेट राजीव गांधी ने देश के सबसे युवा पीएम के रूप में कार्यभार सम्हाला था तक उन्होंने छत्तीसगढ़ (तब म.प्र. का हिस्सा )के रायपुर के वरिष्ठ पत्रकार की एक रपट पढ़कर ‘कमारों’ के जनजीवन का अध्ययन करने ठेठ आदिवासी अंचल कुल्हाड़ी घाट की सपत्निक यात्रा की थी। तब अविभाजित मप्र के मुख्यमंत्री स्व.मोतीलाल वोरा थे और छग के मंत्री स्व.प्रो. रणवीर सिंह शास्त्री थे, तब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता स्व.विद्याचरण शुक्ल ने रणवीर सिंह शास्त्री का राजीव गांधी से परिचय कराया था। तब राजीव ने चलते-चलते एक जगह हाथ लगाया था तो उनकी ऊंगली में गीला पेंट लग गया था… तब राजीव ने कहा था कि लीपा पोती नहीं चलेगी इनका जीवन सुधारने ठोस काम होना चाहिए.. राजीव गांधी की कुल्हाड़ीघाट तथा दुगली (अब धमतरी जिला) की यात्रा 17 जुलाई 1985 को की थी। राजीव गांधी के कुल्हाड़ीघाट-दुगली आने की खबर पीएमओ से रायपुर कलेक्टर को मिली तब खोजबीन शुरू हुई कि ये गांव है कहां…?तब गरियाबंद तथा धमतरी रायपुर जिले के अंतर्गत ही आते थे। दरअसल वरिष्ठ पत्रकार स्व.राजनारायण मिश्र उर्फ ‘दा’ की ग्रामीण रिपोर्ट ‘ में कुल्हाड़ीघाट की तस्वीर प्रस्तुत की गई थी। जिसमें शासन व्यवस्था की कुसंगति, कमार जनजाति के जीवन स्तर पर एक तरह से आइना ही दिखाया गया था। वैसे यह रिपोर्ट 1979 में ज़ब प्रकाशित हुई थी तब जनता पार्टी की सरकार थी। रिपोर्ट में लिखा गया था कि केवल एक बार नसबंदी आपरेशन के दौरान तहसीलदार आये थे। वहां के लोग न तो क्षेत्रीय विधायक को जानते थे न ही मंत्री को…? तब वहाँ के लोगों ने बताया था कि नागरबैैल छाप (जनता पार्टी का चुनाव चिन्ह) पर वोट देने पर उन्हें नागरबैल मिलेगा…?इसी भ्रम में मतदान किया था। वहां की शिक्षा व्यवस्था, खेती किसानी, रहवास की समस्या, स्वास्थ्य व्यवस्था पर तीखे कटाक्ष रिपोर्ट में किये गये थे। बाद में जनता पार्टी का विघटन हो गया और केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार बनी और राजीव गांधी पीएम बने तथा तब मोतीलाल वोरा अविभाजित मप्र के मुख्यमंत्री बने थे । उस समय राजीव गांधी के निजी सचिव डीपी त्रिपाठी थे।वे रायपुर जिले सहित राजनारायण मिश्र से अच्छे परिचित थे। उन्होंने राजनारायण मिश्र की ‘कमार’ जनजाति बाहुल्य कुल्हाड़ीघाट की रिपोर्ट प्रधानमंत्री तक पहुंचाई और उसी के बाद राजीव गांधी, सोनिया के साथ कुल्हाड़ीघाट के दौरे पर आये थे। उन्होंने गांव की दशा सुधारने से लेकर कमार जनजातियों की सुरक्षा के लिए भी कई निर्देश दिये थे। राजीव के प्रवास के बाद राजनारायण मिश्र ने 3 महीने बाद फिर कुल्हीघाट की यात्रा की तथा ‘राजीव केआने से उपजे सपनों का क्या होगा’ के शीर्षक से फिर रिपोर्ट तैयार की थी। बहरहाल नया राज्य बना, 3 साल अजीत जोगी मुख्यमंत्री रहे (जोगी तो रायपुर जिले के कलेक्टर भी रहे जब गरियाबंद क्षेत्र रायपुर जिले के अधीन था) बाद में 15 साल डॉ. रमन सिंह की भाजपा सरकार रही पर कमार जनजाति का अपेक्षाकृत विकास नहीं हो सका… हां भाजपा की ज़ब छ्ग में सरकार थी तब नेहरू-गांधी खानदान की करीबी छ्ग से रास सदस्य बनीं मोहसिना किदवई ने राजीव-सोनिया की यात्रा के करीब 29 साल बाद कुल्हाड़ीघाट को गोद भी लिया पर हालात में अधिक सुधार नहीं आ सका…?छ्ग में भूपेश के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी है। सोनिया -राहुल गांधी कांग्रेस के मुखिया है, भूपेश,रानी दुर्गावती के एक कार्यक्रम में बोल्दी के साथ मंच साझा करने वाले थे पर अपरिहार्य कारणवश वे उस कार्यक्रम में नहीं जा सके अब बोल्दी भी नहीं रही वह झोपड़ी जरूर है जहां शबरी की तर्ज पर राजीव-सोनिया को छग का प्रमुख फल तेंदू खिलाया गया था…. बेटे की बीमारी से मौत हुई फिर बाद में बोल्दी की भी अब मौत हो गईं… उसकी विधवा बहु, बच्चों के साथ एक झोपडी में रह रही है। छ्ग के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल संवेदनशील है, उनसे उम्मीद की जा रही है कि वे कमार जनजाति के विकास के लिए रूचि दिखाएंगे तथा सोनिया-राहुल को एक बार कुल्हाड़ीघाट ले जाकर राजीव की स्मृति को चिरस्थायी करने कुछ ठोस प्रयास करेंगे क्योंकि राजीव गांधी भी उस समय संरक्षित कमार जनजाति के विकास के लिए चिंतित थे। वैसे अपनी भेंट मुलाक़ात यात्रा के दौरान भूपेश ज़ब गरियाबंद की यात्रा पर जाएँगे तो निश्चित ही कुल्हाड़ीघाट जरूर जाएंगे… वहाँ के लोगों को भी उनका इंतजार है…..?

6 पुलिस कप्तान
फिर बदले गये ….   

छत्तीसगढ में भारतीय पुलिस सेवा के 9 अफसरों को बदला गया है जिसमे 6 जिलों के एसपी का भी नाम शामिल है। 9 आईपीएस अधिकारियों के तबादले में डी. रविशंकर को जशपुर का नया पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। काफ़ी दिनों बाद इन्हे एसपी की जिम्मेदारी दी गईं है वही प्रफुल्ल ठाकुर को कोरिया से जिला राजनांदगांव का पुलिस अधीक्षक बनाया गया है। संतोष सिंह को राजनांदगांव से कोरबा जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात किया गया है। इंदिरा कल्याण एलासेला को गौरेला पेंड्रा मरवाही का एसपी बनाया गया है। इसके अलावा भोजराम पटेल को महासमुंद, त्रिलोक बंसल को कोरिया जिले का पुलिस कप्तान बनाया गया है।

डॉक्टर को रायपुर कलेक्टर की कमान…..    

2011 बैच के आईएएस डॉ सर्वेश्वर भूरे ने रायपुर के कलेक्टर का कार्यभार सम्हाल लिया है इससे पहले डॉ. भूरे दुर्ग, मुंगेली के कलेक्टर रह चुके हैँ । सर्वेश्वर भूरे प्रदेश के ऐसे अफसर हैं जिन्होंने कोविड काल में बतौर डॉक्टर भी लोगों की सेवा की। उनका साथ इनकी पत्नी डॉ. रश्मि भूरे ने भी दिया।डॉ भूरे के पिता शिक्षक थे। वो गांव के मराठी माध्यम के स्कूल में पढ़े हैँ।भंडारा जिले के मूल निवासी डॉ भूरे ने पुणे के एक मेडिकल कॉलेज से ऍमबीबीएस की पढ़ाई की। यहीं उन्हें यूपीएससी के बारे में जानकारी मिली। इसके बाद तैयारी करके वह आईएएस बनने में सफल रहे । कॉलेज में इनके साथ पढ़ने वाली डॉ रश्मि से इनकी मुलाकात हुई। दोस्ती के बाद दोनों ने शादी कर ली। डॉ रश्मि भी एक प्रोफेशनल डॉक्टर हैं।

और अब बस…

0छ्ग कॉडर की आईएएस रेणु जी पिल्ले केंद्र में सेक्रेटरी इम्पेनल हो गईं हैँ। छग में वर्तमान में छ्ग कॉडर के बी बी आर सुब्रमण्यम( केंद्र में सचिव)तथाअभिताभ जैन(सीएस छ्ग )ही केंद्र में सेक्रेटरी इम्पेनल हैँ।
0 छ्ग के विस अध्यक्ष डॉ
चरणदास महंत ने यह क्यों कहा कि उनकी पत्नी लोस सदस्य ज्योत्सना महंत की टिकट काटने की तैयारी चल रही है….?
0छ्ग में आईटी के छापे से कुछ बड़े अफसर अधिक चिंतित हैं.. इसमें कुछ कलेक्टर, एसपी भी शामिल हैं….?

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