नवंबर से जनवरी के बीच में बड़े बदलाव संभव
सत्य से साक्षात्कार
✒️संजय त्रिपाठी
*यह सत्य है, शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री के रूप में चल रही इस बार की पारी पहले जैसी धार दार और आक्रमक नहीं है,,, एक तो भाजपा संगठन पर काबिज कुछ नेता सरेआम सीएम को संगठन की ताकत का एहसास करा रहे हैं,,, तो उनके कुछ प्रमुख अति महत्वकांक्षी मंत्री भी सरेआम खम ठोक रहे हैं,,,, नरोत्तम मिश्रा ने जब शिवराज सिंह जी चौहान के भाषण के लिए खड़े होने पर उनके सम्मान में खड़े हुए मंत्री अरविंद भदौरिया का कुर्ता खींच कर उन्हें बैठाने का प्रयास किया यह सिद्ध करता है कि,,, भाजपा की सरकार के अंदर ही मंत्रियों का एक समूह जिसमें कई कद्दावर मंत्री शामिल हैं,,, आप सरेआम विद्रोह पर उतर,आए हैं,,,, मुख्यमंत्री के रूप में शिवराज जी इस बार घिरते और मौन नजर आ रहे हैं!
*👉ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि भाजपा की आंतरिक गुटबाजी किसी मुख्यमंत्री के खिलाफ रही हो,, पर वह उभर कर नहीं आती थी,,, खुद शिवराज सिंह चौहान ने भी समय के साथ साथ नरेंद्र सिंह तोमर,, प्रभात झा,, कैलाश विजयवर्गीय,, राकेश सिंह,, प्रहलाद पटेल,,, उमा भारती जैसे नेताओं को चुपचाप दिल्ली दिखा दी थी।
*👉शिवराज सिंह चौहान की बड़ी ताकत उनका संयमित व्यवहार और लचीलापन रहा है,, लेकिन सबसे बड़ी ताकत एक जन नेता के रूप में आम जनता में उनकी पकड़ और मामा की लोकप्रियता ने उनके अनेक विरोधियों को समय-समय पर धूल चटा दी है।
*👉विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा के सभी बड़े प्रमुख शिवराज विरोधी नेताओं ने विधानसभा चुनाव के दौरान चुनाव में अपने ढंग से काम करने के बावजूद भी शिवराज के नेतृत्व में भाजपा का वोट प्रतिशत कांग्रेस से अधिक रहा और मात्र तीन चार सीटों से ही भाजपा पीछे रही,,, और कमलनाथ जी की सरकार बनी*
*👉सिंधिया प्रकरण के बाद शिवराज सिंह चौहान अपनी पारी को समेटे हुए दिख रहे थे,, उनके खासम खास मंत्रियों से विभागों का छीन जाना और रामपाल सिंह जैसे छत्रप का मंत्री ना बन पाना- उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल की तीन पारियों के ठीक विपरीत था।*
*भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व भी इस बार बदलाव के मूड में था,,, पर शिवराज सिंह चौहान के अलावा प्रदेश की आम जनता में भाजपा का जन चेहरा बनने की ताकत मध्य प्रदेश के कई बड़े नेताओं में भी नहीं है,,, और उनकी जनता व संघ में पकड़ के चलते,, भाजपा ने सेफ गेम खेला और सिंधिया प्रकरण के बाद शिवराज जी के नेतृत्व मेंभाजपा की सरकार उपचुनाव जीतकर मजबूती के साथ खड़ी हो गई,, 👉समय का बदलाव देखिए सरकार में कभी शिवराज जी के खास खास साथी रहे मंत्रियों ने भी अब तो आंख दिखानी चालू कर दी है,,,, गोपाल भार्गव हो या नरोत्तम मिश्रा,, कमल पटेल हो या प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा,,,, कैलाश विजयवर्गीय हो या प्रहलाद पटेल,उमा भारती,, सभी अपने अपने पत्ते खुलकर खेल रहे हैं,,, 👉यह बात और है कि नरेंद्र सिंह तोमर व राकेश सिंह की चालें किसी को समझ में नहीं आ रही है,,, वैसे राकेश सिंह तो खुलकर सीएम विरोधी खेमे में है,,,, नरेंद्र सिंह तोमर खुद को केंद्रीय राजनीति में व्यस्त ही बता रहे हैं!, परयह भी सच है कि तोमर शिवराज विरोधी खेमे के साथ खड़े हुए नजर नहीं आ रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व पर जो पकड़ आज भी नरेंद्र सिंह तोमर व शिवराज सिंह चौहान की है वैसी पकड़ विरोधी खेमे की नहीं है।*
*👉शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश की भाजपा की राजनीति के कुशल खिलाड़ी हैं ,, वे जब लड़ते हैं तो ना उनके लड़ने के तरीके का कोई पकड़ पाता है”” और ना ही उनके विरोधियों का निपटाने का तरीका कोई भाप पाता है*
*👉अपनी विनम्रता और सक्रियता के चलते शिवराज सिंह चौहान की संघ में मजबूत पकड़,, और पिछड़े नेता का तमगा उनके मुख्यमंत्री पद की पारी को अमरत्व प्रदान कर रहा है।*
*👉भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और कद्दावर नेता कैलाश विजयवर्गीय जी की ही तर्ज पर राजनीति करने वाले मंत्री नरोत्तम मिश्रा कि मुख्यमंत्री बनने की अभिलाषा बार-बार प्रकट होती रही है।-इस बार कुर्ता खींचो अभियान ने कहीं ना कहीं संघ व भाजपा के आला नेतृत्व के सामने यह संदेश तो दे ही दिया है कि मध्य प्रदेश में सब कुछ ठीक नहीं है ,,, 👉भाजपा सरकार के ही कुछ मंत्री अति महत्वाकांक्षा से ग्रस्त हैं! भाजपा में अंदर खाने कुछ भी चले पर सरेआम कुर्ता खींचने का प्रकरण अनुशासन हीनता की श्रेणी में आता है। खुद भाजपा के नेता नोटिस करें ना करें पर संघ का अनुशासन इस प्रकार की अति महत्वकांक्षी को बर्दाश्त नहीं करता है। और यही भाजपा की सबसे बड़ी ताकत है।*
*👉पिछले तीन चुनाव को देखें तो भारतीय जनता पार्टी संगठन में बदलाव हमेशा नवंबर से जनवरी के बीच में होता है,, इस बदलाव में हमेशा शिवराज जी का पल्ला भारी रहा है,,, बिना बोले बिना शोर किए निपटा देने की कला में शिवराज माहिर है, हालांकि भाजपा में हिंदुत्व की राजनीति होती है फिर भी जातिगत संतुलन के आधार पर, इस बार पिछड़े वर्ग का मुख्यमंत्री होना शिवराज की सबसे बड़ी ताकत बन गया है,,*
*👉इस राजनीतिक घटनाक्रम की अंतिम लड़ाई नवंबर दिसंबर में लड़ी जाएगी,, दो संभावनाएं महत्वपूर्ण है,,, एक शिवराज सिंह चौहान के विरोधियों पर राष्ट्रीय संगठन की तगड़ी लगाम,,, और सीएम को फ्री हैंड,, भाजपा प्रदेश संगठन में मूलभूत बदलाव,,, और उछल रहे मंत्रियों के कद में कटौती जैसे घटनाक्रम घटित हो सकते हैं,,,,*
*👉दूसरा विकल्प शिवराज सिंह चौहान कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में विदाई और नए मुख्यमंत्री का आगमन भी नवंबर से जनवरी के बीच होने की पूर्ण संभावना है।*
*👉मेरा मानना है कि इस वर्ष नवंबर से जनवरी तक का समय भाजपा की राजनीति की निर्णायक दिशा तय कर देगा!*