यशवंत गिरी गोस्वामी , धमतरी : जिले में टिड्डी दल के संभावित प्रकोप को दृष्टिगत करते हुए कृषि विभाग द्वारा बचाव की सलाह दी गई है। उप संचालक कृषि ने बताया कि रात्रि के समय में ये टिड्डी दल खेतों में रूककर फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। जमीन मंे लगभग 500 से 1500 अण्डे प्रति मादा कीट देकर सुबह तक उड़कर दूसरी ओर चले जाते हैं, जहां लाखों की संख्या में पेड़-पौध एवं अन्य वनस्पति को खाकर आगे बढ़ जाते हैं। उन्होंने इसके नियंत्रण के लिए सलाह दी है कि कृषक अपने स्तर पर गांव में समूह बनाकर खेतों में रात्रिकालीन समय में निगरानी रखें। यदि टिड्डी दल का प्रकोप हो तो शाम सात से रात नौ बजे के मध्य यह दल विश्राम के लिए बैठते हैं, जिनकी पहचान करने के लिए सतत् निगरानी रखें। जैसे ही किसी गांव में टिड्डी दल के आक्रमण की जानकारी मिलती है तो इसकी जानकारी कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केन्द्र से को तत्काल दें। उन्होंने बताया कि टिड्डियों का हमला होने पर कृषक टोली बनाकर परंपरागत उपाय जैसे ढोल, डी.जे. बजाकर अथवा डिब्बे आदि के माध्यम से शोर मचाकर, ध्वनि विस्तारक यंत्रों का प्रयोग कर तेज आवाज के जरिए खेतों से भगाया जा सकता है। यदि शाम के समय टिड्डी दली का प्रकोप हो गया हो तो दल के विश्राम अवस्था में सुबह तीन से पांच बजे के बीच तुरंत क्लोरोपाइरीफाॅस 20 ई.सी. 200 एमएल या लेंब्डासायहेलोथ्रिन 5 ईसी 400 एमएल या डायफ्लूबेंजूसन 25 डब्ल्यूटी 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करने की सलाह दी गई है। साथ ही कीटनाशक पावडर फेनबिलरेट 0.4 प्रतिशत 20-25 किग्रा या क्यूनाॅलफास 0.5 प्रतिशत 25 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर का भी भुरकाव किया जा सकता है।