लॉकडाउन 3.0 में दी गई छूट के बाद बढ़े कोविड-19 के मामले,आईसीएमआर ने बढ़ाई टेस्टिंग क्षमता

नई दिल्ली : लॉकडाउन 3.0 में दी गई छूट के बाद अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने घर की ओर जाने लगे हैं। दूसरे राज्यों में बसे प्रवासी मजदूर घरों से पैसा मंगवाकर अपने घर रवाना हुए। कुछ मजदूरों को सरकारी मदद मिली तो कुछ अपनी सहूलियत से घर गए। लेकिन प्रवासी मजदूरों के बाहर जाने के बाद से कोविड-19 के मामले बढ़ गए हैं।

प्रवासी मजदूरों के उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में जाने के बाद यहां कोरोना के मामले ज्यादा बढ़ गए हैं। इसको देखते हुए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने कोरोना की टेस्टिंग की क्षमता और उपलब्धता बढ़ा दी है।

संस्थान के मुताबिक मौजूदा हाल में टेस्टिंग की क्षमता 1.4 लाख प्रतिदिन है जो जल्दी ही बढ़ाकर दो लाख प्रतिदिन कर दी जाएगी। अधिकारियों ने बताया कि सरकार ने 2009 में फैले स्वाइन फ्लू से सीख लेकर ये फैसला किया है कि कोरोना से लड़ने के लिए टेस्टिंग को और बढ़ाना होगा।

फिलहाल देश में 610 प्रयोगशालाएं हैं जिसमें 432 सरकारी और 178 निजी प्रयोगशालाएं हैं। ये लैब प्रतिदिन 1.1 लाख कोरोना का टेस्ट कर रही हैं। वायरस के फैलते संक्रमण और भारत या दूसरी जगहों पर हो रहे शोध को देखते हुए टेस्टिंग की क्षमता बढ़ाना जरूरी है। विदेश से आने वाले लोग, प्रवासी मजदूर और कोविड-19 के फ्रंटलाइन कार्यकर्ता भी टेस्टिंग प्रक्रिया में शामिल हैं।

आईसीएमआरने बताया कि ज्यादातर राज्य नेशनल ट्यूबरक्लोसिस एलिमेनेशन प्रोग्राम के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि राज्यों में कोविड-19 टेस्टिंग के लिए ट्रूनेट (TrueNAT) मशीन लगा सकें। इन मशीनों की सहायता से उन जगहों या इलाकों में टेस्टिंग आसानी की जा सकेगी जहां निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की प्रयोगशालाएं काम नहीं कर सकती हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के सभी संभावित संस्थान यानि कि प्रयोगशालाएं, विश्वविद्यालय और निजी मेडिकल कॉलेज की पहचान कर ली गई है। उन्होने बताया कि इंटिलिटेंज टेस्टिंग स्ट्रैटेजी के माध्यम से वायरस के संक्रमण पर निगरानी की जाएगी।

इसी के आधार पर यह अनुमान लगाया जाएगा कि कहां पर टेस्टिंग की जा सकती है और वहीं प्रयोगशालाओं को बनाया जाएगा। अगर जरूरत पड़ी तो पशुचिकित्सा के लिए इस्तेमाल की जा रही प्रयोगशालाओं को भी इस्तेमाल किया जाएगा।

आईसीएमआर के एक अधिकारी ने बताया कि टेस्टिंग की सुविधा को बढ़ाने के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों समेत अन्य राज्यों में भी प्रयोगशालाएं और मशीन लगाई जा रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि लॉकडाउन से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी तुलनात्मक कम है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *