बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमले हिन्दू समाज के निर्मूलन का योजनाबद्ध प्रयास – डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना

कार्यकारी मंडल ने की जिहादी संगठनों द्वारा बांग्लादेश के इस्लामीकरण के षड्यंत्र की निंदा

कट्टरपंथी इस्लामिक शक्ति का उभार शांतिप्रिय देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए गम्भीर खतरा

संघ के कार्यकारी मंडल की बैठक में बांग्लादेश हिंसा को लेकर प्रस्ताव पारित

निधि समर्पण अभियान में 5.34 लाख गावों में 12.73 करोड़ परिवारों तक पहुंचे कार्यकर्ता

रायपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त संघचालक डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने बताया कि कार्यकारी मंडल की बैठक में बांग्लादेश में हिन्दुओं पर हमलों को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया है। बांग्लादेश में हिन्दू समाज पर आक्रमण अचानक घटित घटना नहीं है। फेक न्यूज के आधार पर साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने की कोशिश की गई है, ये हिन्दू समाज के निर्मूलन का योजनाबद्ध प्रयास था। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव में हिन्दुओं पर हुए हिंसक आक्रमणों पर दुःख व्यक्त किया गया है और वहाँ के हिन्दू अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रही क्रूर हिंसा और बांग्लादेश के व्यापक इस्लामीकरण के जिहादी संगठनों के षडयन्त्र की घोर निंदा की गई है।

प्रस्ताव में कहा गया है कि हिन्दू समाज को लक्षित कर बार-बार हो रही हिंसा का वास्तविक उद्देश्य बांग्लादेश से हिन्दू समाज का संपूर्ण निर्मूलन है, फलस्वरूप भारत विभाजन के समय से ही हिन्दू समाज की जनसंख्या में निरंतर कमी आ रही है। विभाजन के समय पूर्वी बंगाल में हिन्दुओं की जनसंख्या लगभग अठ्ठाईस प्रतिशत थी, वह घटकर अब लगभग आठ प्रतिशत रह गई है। जमात-ए-इस्लामी (बांग्लादेश) जैसे कट्टरपंथी इस्लामी समूहों द्वारा अत्याचारों के कारण विभाजन काल से, विशेषकर 1971 के युद्ध के समय बड़ी संख्या में हिन्दू समाज को भारत में पलायन करना पड़ा।

संघ ने मानवाधिकार के तथाकथित प्रहरी संगठनों और संयुक्त राष्ट्र संघ से संबंधित संस्थाओं के गहरे मौन पर चिंता व्यक्त की और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आवाहन किया कि इस हिंसा की निंदा करने के लिए आगे आए व बांग्लादेश के हिन्दू, बौद्ध व अन्य अल्पसंख्यक समाज के बचाव व सुरक्षा हेतु अपनी आवाज़ उठाए। बांग्लादेश या विश्व के किसी भी अन्य भाग में कट्टरपंथी इस्लामिक शक्ति का उभार विश्व के शांतिप्रिय देशों की लोकतांत्रिक व्यवस्था और मानवाधिकार के लिए गम्भीर ख़तरा सिद्ध होगा।

प्रस्ताव में हिंसा से पीड़ित परिवारों की सहायता के लिए इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, विश्व हिन्दू परिषद एवं अनेक हिन्दू संगठनों-संस्थाओं की सराहना की गई है। कार्यकारी मंडल ने भारत सरकार से भी अनुरोध किया कि उपलब्ध सभी राजनयिक माध्यमों का उपयोग करते हुए बांग्लादेश में हो रहे आक्रमणों व मानवाधिकार हनन के बारे में विश्व भर के हिन्दू समाज एवं संस्थाओं की चिंताओं से बांग्लादेश सरकार को अवगत कराये ताकि वहाँ के हिन्दू और बौद्ध समाज की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

उन्होंने कहा कि संघ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था प्रतिनिधि सभा है, साल में एक बार बैठक मार्च में होती है। दूसरी सांविधानिक संस्था कार्यकारी मंडल है, इसकी बैठक अभी यहां चल रही है। मार्च में होने वाली प्रतिनिधि सभा की बैठक में वर्ष भर का कैलेंडर बनाते हैं, और अखिल भारतीय कार्यकर्ताओं का प्रवास भी तय होता है। अक्तूबर की बैठक का एक काम होता है, वर्ष में अभी तक के कार्य की समीक्षा करना।

उन्होंने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान में धन एकत्रित करना संघ का मुख्य उद्देश्य नहीं था। संघ का मानना था कि न्यास आवाहन कर रहा है और समाज के लोग देने ही वाले हैं। इस आंदोलन में पूरे समाज की भागीदारी रही है, तो इसलिए अब भी समाज के अधिकतम लोगों तक पहुंचने का लक्ष्य तय किया गया। और देश में 6.5 लाख (अनुमानित आंकड़ा) गांवों में से 5.34 लाख गांवों तक कार्यकर्ता पहुंचे, सभी नगरों की सभी बस्तियों तक पहुंचे। अभियान में 12.73 करोड़ परिवारों तक कार्यकर्ता पहुंचे। अभियान में केवल संघ के कार्यकर्ताओं ने काम किया ऐसा नहीं है, समाज में स्वयं प्रेरणा से बहुत बड़ी संख्या में लोग जुड़े। अभियान में 25 से 30 लाख महिला-पुरुष कार्यकर्ताओं ने सहभागिता की।

इसी प्रकार कोरोना काल में चुनौती भी बड़ी थी, और समाज से प्रत्युत्तर भी समग्र था। सब लोगों ने मिलकर काम किया, बहुत से नए लोग हमारे साथ जुड़े और हमारे साथ काम करना चाहते थे। इन लोगों को स्थायी रूप से अपने काम के साथ जोड़ें, ऐसा विचार मार्च की बैठक में हुआ था। इस बैठक में कार्य विस्तार की दृष्टि से इसकी भी समीक्षा हुई।

डॉ. पूर्णेंदु सक्सेना ने कहा कि मार्च माह की बैठक में इन सभी लोगों को पर्यावरण संरक्षण, परिवार प्रबोधन, समरसता, सामाजिक सद्भाव के कार्य के साथ जोड़ने पर विचार हुआ था। ये चारों समाज की गतिविधि बने, इस दृष्टि से काम करने का तय किया था। इसे लेकर अभी तक हुए प्रयासों व अनुभवों की समीक्षा बैठक में हुई है। साथ ही देश स्वाधीनता के 75 वर्ष का उत्सव मना रहा है। स्वाधीनता के 75 वर्ष पर क्या-क्या कर सकते हैं, और क्या करना चाहिए, इसे लेकर भी बैठक में चर्चा व समीक्षा की गई है।

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