नई दिल्ली : सड़कों पर पिछले एक साल से किसानों द्वारा धरना प्रदर्शन करने को लेकर एक बार फिर आज (गुरुवार) सुनवाई हुई। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि सड़कों को अवरुद्ध कर विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है लेकिन अनिश्चित काल के लिए सड़कों को अवरुद्ध नहीं किया जा सकता। संयुक्त किसान मोर्चा का कहना है कि सड़कों को विरोध करने वाले किसानों ने नहीं बल्कि पुलिस ने जाम किया है
सुप्रीम कोर्ट ने संयुक्त किसान मोर्चा व अन्य किसान संघों को सड़कों से विरोध करने वाले किसानों को हटाने की मांग वाली याचिका पर चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा। लंबे समय से दिल्ली सीमा के पास सड़कों पर किसानों का डेरा जमा हुआ है, इससे इन सड़कों पर यातायात बुरी तरह प्रभावित है। मामले पर सात दिसंबर को सुनवाई होगी।
हरियाणा सरकार ने दायर की थी याचिका…
पिछले दिनों हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संयुक्त किसान मोर्चा के तहत 43 किसान संगठनों को पक्षकार बनाने की अर्जी दाखिल की थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि हाईवे और सड़कों को जाम नहीं किया जाना चाहिए, कानून पहले ही तय किया जा चुका है। हम इसे बार-बार नहीं दोहरा सकते हैं। इसे लागू करना कार्यपालिका का कर्तव्य है। जस्टिस एस के कौल ने कहा कि न्यायपालिका कार्यपालिका पर अतिक्रमण नहीं कर सकती है। किसानों को सरकार से शिकायत हो सकती है, लेकिन सड़क पर फंसी जनता को भी उनसे शिकायत है। अर्जी में नेताओं राकेश टिकैत, योगेंद्र यादव, दर्शन पाल का नाम शामिल है।