भारत ने यूएनएससी में कहा- किसी देश को धमकाने या हमले के लिए न हो अफगान जमीन का इस्तेमाल

वाशिंगटन : यूएनएससी में चर्चा के दौरान संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने अफगानिस्तान पर भारत का रुख विश्व समुदाय के सामने रखा। उन्होंने दो टूक कहा कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होना चाहिए। टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि तालिबान ने प्रतिबद्धता जताई है कि वह आतंकवाद के लिए अफगान भूमि के उपयोग की अनुमति नहीं देगा, उम्मीद है कि इसका पालन होगा।

उन्होंने कहा, पिछले महीने हमने देखा है कि किस तरह काबुल में आतंकी हमला हुआ, इसने अफगानिस्तान के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है। इसलिए जरूरी है कि आतंकवाद रोकने को लेकर जो संकल्प जताया गया है उसका सम्मान किया जाए।

इस दौरान तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल किसी देश को धमकाने, हमला करने, आतंकवादियों को पनाह देने, प्रशिक्षित करने के लिए या आतंकवादी गतिविधि की योजना बनाने और अपनी आय बढ़ाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए।

साथ ही टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि तालिबान के इस बयान पर भी ध्यान दिया गया है कि अफगान बिना किसी बाधा के विदेश यात्रा कर सकेंगे। हमें उम्मीद है कि इन प्रतिबद्धताओं का पालन किया जाएगा, जिसमें अफगानों और सभी विदेशी नागरिकों के अफगानिस्तान से सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से निकलना भी शामिल है।

यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि तिरुमूर्ति ने कहा कि अफगानिस्तान में स्थिति अब भी बेहद नाजुक बनी हुई है। हम इस देश के पड़ोसी हैं और यहां के लोगों के दोस्त भी हैं। इसलिए ये हमारे लिए सीधे चिंता का विषय है। पिछले दशक में अफगानिस्तान ने जो पाया उसे बरकरार रखने की अनिश्चितताएं बहुत अधिक हैं। हम अफगान महिलाओं की आवाज को भी उठता हुआ देखना चाहते हैं।

टीएस तिरुमूर्ति ने अपने भाषण में अफगान बच्चों को लेकर भी चिंता जाहिर की और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की मांग की है। साथ ही मानवीय सहायता तत्काल प्रदान करने की मांग उठाई। तिरुमूर्ति ने आगे कहा कि भारत अफगानिस्तान में समावेशी व्यवस्था का आह्वान करता है जो अफगान समाज के सभी वर्गोंं का प्रतिनिधित्व करता है।

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