खैर करे अब रब ही उसकी, जग को सच समझाने निकला… एक सियासी चाल है!समझो, घोड़ा घास बचाने निकला….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार  )

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की 68 (बाद के उपचुनाव के बाद 69) सीटें जीतने तथा हाल ही में दिल्ली में आप की तीसरी बार सरकार बनने के बाद भाजपा के कुछ नेता तथा दक्षिण पंथी झुकाव वाले कुछेक पत्रकार पचा नहीं पा रहे हैं। छग में किसानों का कर्ज माफ 2500 रुपये प्रति क्विंटल में धान की खरीदी, सम्पत्तिकर आधा , 200 यूनिट बिजली मुफ्त, शराबबंदी आदि घोषणा पत्र में शामिल कर जीतने तथा मतदाताओं को प्रलोभन देने का आरोप भाजपा लगा रही हैं तो हाल ही के दिल्ली चुनाव परिणाम पर मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, महिलाओं के लिए मुफ्त यात्रा के लालच में आम आदमी पार्टी को वोट देने का आरोप मढ़ रहे हैं… क्या यह मतदाताओं का अपमान नहीं है…।
मुफ्तखोरी और चुनाव को जोडऩे खासतौर पर दिल्ली विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आंकड़ों पर गौर करना जरूरी है। दिल्ली में 200 यूनिट बिजली मुफ्त देने के सरकार के निर्णय से प्रतिवर्ष 1720 करोड़ खर्च होते हैं, पानी मुफ्त देने पर 400 करोड़ रुपये सालाना तथा महिलाओं को मुफ्त यात्रा कराने का खर्च 140 करोड़ रुपये हैं। यानि इन तीन बड़ी योजनाओं पर मुफ्तखोरी का कुल बजट 2260 करोड़ के करीब आता है। यानि 2 करोड़ की आबादी वाली दिल्ली में हर व्यक्ति को सरकार 1130 रुपये की मुफ्तखोरी करवा रही है। प्रचार ऐसा किया जा रहा है कि सारा खजाना लुटाया जा रहा है।
अब केंद्र सरकार (मोदी सरकार) के आंकड़ों पर गौर करें… एनडीए की सरकार के पहले कार्यकाल में कुल 6 लाख करोड़ की कर्जमाफी की गई थी जिसमें किसानों का कर्जा सिर्फ 43 हजार करोड़ था शेष 5 लाख 57 हजार करोड़ पूंजीपतियों का कर्ज था। इसके अलावा भाजपा की मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में 4 लाख 30 हजार करोड़ का टैक्स माफ कारपोरेट कंपनियों का माफ कर दिया था। इस तरह देखें तो देश के चंद उद्योगपतियों को सरकार ने 10 लाख करोड़ की छूट दी थी। देश के हर सांसद को हर महीने सरकार की तरफ से 2 लाख 70 हजार (लगभग) की सुविधाएं दी जाती हैं तो एक विधायक औसतन सवा दो लाख की सुविधा पाते हैं… देश, प्रदेश की प्राईम लोकेशन में बंगला तथा अन्य सुविधाएं जनप्रतिनिधियों को दी जाती है, देश के कुछ सरकारी अधिकारी, नेता, कर्मचारी मिलकर हर साल 70 हजार करोड़ का अमूमन भ्रष्टाचार करते हैं क्या यह मुफ्तखोरी नहीं है… बहरहाल अब तो आम लोगों (जनसमान्य) को मिलनेवाली चंद वाजिब सुविधाओं को भी मुफ्तखोरी का नाम दिया जा रहा है। मनरेगा, खाद्य सब्सिडी, उर्वरक सब्सिडी और रसोई गैस सब्सिडी को भी मुफ्तखोरी बताया जा रहा है। रेल टिकट पर दी जाने वाली सब्सिडी का उल्लेख कर देश के आम लोगों को अपमानित करने का प्रयास किया जाता है। जबकि यह हमारा ही पैसा है जिससे देश के लोगों को सुविधाएं मिलती है। सरकार आम भारतवासी को सुविधाएं देने के नाम पर बिदकती है और सत्ता प्रभुत्वशाली लोगों को हर तरह की रियायत देती है। कितना हास्यप्रद है गरीबों की सुविधाओं पर होने वाले व्यय को मुफ्तखोरी और उद्योग पर होने वाले सरकारी व्यय को उदारवाद कहने का फैशन शुरू हो गया है। यह कोई राजनीतिक विचार नहीं, यह मूलत: दक्षिणपंथी अर्थ व्यवस्था का मुख्य विचार है। यह गरीबों को दी जाने वाली सब्सिडी का विरोध करती है और उसे चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के रास्ते सुझाती है।

दोनों दाऊजी और विदेश यात्रा..     

बड़े दाऊ (ड़ॉ. चरणदास महंत) और छोटे दाऊ (भूपेश बघेल) ने अमेरिका यात्रा के दौरान ग्रामीण आर्थिक माडल का प्रस्तुतीकरण कर महत्वाकांक्षी योजना नरूवा, गरुवा, घुरवा, बाड़ी को पहुंचाकर तेजी से बढ़ रहे समावेशी विकास के लिए उठाये जा रहे कदमों को बताकर छत्तीसगढ़ की एक अलग तस्वीर प्रस्तुत करने में सफलता पाई है, अमेरिका के कितने लोग छत्तीसगढ़ में उद्योग स्थापित करेंगे यह तो बाद में पता चलेगा पर सतत प्रयास किया जाना तो जरूरी है। वैश्विक मंदी के दौर में छग का ग्रामीण आर्थिक मॉडल सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की जानकारी देकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ में उद्योगपतियों को आमंत्रित किया है। प्राकृतिक संसाधन, शांत वातावरण, मेहनतकश लोग, उपजाऊ जमीन का भी चित्र खींचने में सफलता प्राप्त की है। हार्वर्ड स्कूल, एमआईटी स्लोन स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, सेन फ्रांसिस्को में टीआईटी सिलिकॉन वेली, ग्लोबल इन्वेस्टर्स और औद्योगिक प्रतिनिधियों से मुलाकात की, मुख्यमंत्री ने नाचा (नार्थ अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन) के सदस्यों से मुलाकात कर 250 निवेशकों को भी छग में आमंत्रित किया। अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान सबसे बड़ी डेटा सेंटर कंपनी इक्विनिक्स का दौरा किया। रेडवुड शोर्स में आटोग्रिड सिस्टम के औद्योगिक निवेशकर्ताओं से चर्चा कर छग की कोर सेक्टर, आईटी, फुड प्रोसेसिंग, जैवविविधता सहित अन्य क्षेत्रों में निवेश की ओर ध्यान आकर्षित किया। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत ने एमआईटी कैम्ब्रिज आन इकानामिक्स में नोबल पुरस्कार विजेया अभिजीत बनर्जी से मुलाकात कर नरुवा, गरुवा, घुरुवा और बाड़ी, हाट बाजार क्लीनिक योजना, सुपोषण अभियान और एथेनाल प्रोजेक्ट पर बातचीत की और यह सुखद है कि अभिजीत जुलाई में छग प्रवास पर आने वाले हैं। भूपेश और महंत ने यूनाइटेड नेशन के हेडक्वाटर का भ्रमण किया, वहां की कार्यप्रणाली का अध्ययन किया। साथ में छग के मुख्य सचिव आर.पी.मंडल, एसीएस सुब्रत साहू प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, कृषि सलाहकार प्रदीप शर्मा भी साथ रहे। छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और छत्तीसगढिय़ा विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत से अमेरिका में छत्तीसगढ़ी में उद्बोधन से वहां बसे छत्तीसगढिय़ा भी गदगद हो गये।

राज्यसभा …. प्रियंका, दिग्विजय…..   

9 अप्रैल को म.प्र., राजस्थान से 3 तथा छत्तीसगढ़ से 2 राज्यसभा सीटें रिक्त हो रही है। अभी छग से मोतीलाल वोरा (कांग्रेस), रणविजय सिंह (भाजपा) राज्यसभा सदस्य हैं।
हालांकि राजस्थान, म.प्र. तथा छग से प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजने की मांग उठने लगी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम तथा वरिष्ठ मंत्री टी.एस. सिंह देव बाबा ने दिल्ली में प्रियंका को छग से राज्यसभा में भेजने का प्रस्ताव रखा है। इधर छग से दिग्विजय सिंह को भी राज्यसभा में भेजने की सुगबुगाहट तेज है। क्योंकि म.प्र. से केवल 2 राज्यसभा सदस्य बनेंगे वहां से यदि प्रियंका को राज्यसभा भेजा जाता है तो सिंधिया या दिग्विजय सिंह में केवल एक ही राज्यसभा में जा सकता है। ऐसे में दिग्गीराजा को छग से भेजा जा सकता है। ऐसे में फिर सवाल यह है कि मोतीलाल वोरा का फिर क्या होगा…। वैसे राज्यसभा के लिए अटलजी की भतीजी करूणा शुक्ला का भी नाम भी तेजी से उभरा है। इधर जिस तरह कई दिग्गिजों को किनारा करके भूपेश बघेल ने पिछली बार छाया वर्मा को राज्यसभा भेजा था उससे यह भी चर्चा तेज है कि किसी आम कांग्रेसी नेता को भी राज्यसभा में भेजा सकता है।

कौन बनेगा भाजपा अध्यक्ष……

छत्तीसगढ़ में फिर नये प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नियुक्ति को लेकर हलचल तेज है। वर्तमान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी के बदले किसी आदिवासी को अध्यक्ष बनाया जाएगा। सामान्य वर्ग, पिछला वर्ग का अध्यक्ष बनाया जाएगा इसको लेकर कयास लगाये जा रहे हैं। वैसे छत्तीसगढ़ में आदिवासी वर्ग से पहले नंदकुमार साय, शिवप्रताप सिंह, विष्णुदेव साय, रामसेवक पैकरा भी प्रदेश अध्यक्ष बन चुके हैं वहीं सामान्य वर्ग से डॉ. रमन सिंह तथा पिछला वर्ग से धरमलाल कौशिक की ताजपोशी हो चुकी है। रमन सिंह अध्यक्ष थे तब पहली बार छग में भाजपा की सरकार बनी थी वहीं उनके मुख्यमंत्री रहते 15 साल आदिवासी वर्ग का अध्यक्ष बनता रहा उनके तीसरे कार्यकाल में जरूर पिछड़ा वर्ग के धरमलाल कौशिक को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया (वह भी बतौर उनके विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए विधानसभा चुनाव हार जाने के बाद) पर 15 साल तक राज करने वाली सरकार 15 सीटों पर सिमट गई फिर भी उन्हें बतौर नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। विक्रम उसेंडी के खाते में लोकसभा चुनाव में 11 में 9 सीटें जीतने का श्रेय जाना चाहिये पर वह श्रेय नरेन्द्र मोदी-अमित शाह के खाते में चला गया, नगरीय तथा ग्रामीण सरकार के चुनाव में जरूर विक्रम की टीम पिछड़ गई पर उसके लिए कुछ बड़े भाजपा नेताओं की निष्कृयता भी चर्चा में रही। बहरहाल वर्तमान में नये प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए संतोष पांडे (सामान्य वर्ग) विजय बघेल, नारायण चंदेल (पिछड़ा वर्ग), रामविचार नेताम, विष्णुदेव साय (आदिवासी वर्ग) का नाम चर्चा में है वहीं डॉ. रमन सिंह का नाम भी उछला है। इधर रमन सिंह राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं तो रामविचार नेताम अनुसूचित जनजाति वर्ग भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं।

और अब बस….

0 छग के सबसे वरिष्ठ आईएएस तथा योजना आयोग के उपाध्यक्ष अजय सिंह 28 फरवरी को रिटायर हो जाएंगे क्या सरकार उन्हें कोई पद उसके बाद देगी?
0 दो अच्छे दोस्त आईएएस सोनमणी वोरा और आईपीएस राहुल भगत दोनों श्रम मंत्रालय में पदस्थ हैं। सोनमणी छग के श्रम सचिव हैं तो राहुल भगत भारत सरकार के श्रम संचालक हैं।
0 मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव के विदेश से लौटते ही कुछ कलेक्टर , पुलिस कप्तानों के तबादले होने के संकेत हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *