अविभाजित मध्यप्रदेश से लेकर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य में जिलों के नवगठन को लेकर डॉ. चरणदास महंत कद्दावर और अग्रिम भूमिका में रहते आए। क्षेत्रवासियों और प्रतिनिधियों की वर्षों से लंबित भावनाओं को उन्होंने अपने मन में लगातार रखा और अवसर आने पर इसे पूरा कर युग पुरूष के रूप में स्वयं को सामने लाया। नवगठित जिलों के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया है।
अविभाजित मध्यप्रदेश के शासनकाल में पृथक छत्तीसगढ़ से एकमात्र राजनांदगांव जिला का गठन वर्ष 1972 में मध्यप्रदेश सरकार के तत्कालीन राजस्व मंत्री किशोरीलाल शुक्ला के द्वारा कराया जा सका है। उस समय राजनांदगांव के साथ चाम्पा जिला पुनर्गठन का भी प्रकाशन हुआ। तब चाम्पा के तत्कालीन कांग्रेस के कद्दावर नेता व सारागांव के विधायक बिसाहूदास महंत की इसमें बड़ी भूमिका रही लेकिन राजनैतिक प्रतिद्वंदिता की वजह से उस समय के मजबूत कांग्रेस नेताओं ने बिसाहूदास महंत के इस उद्देश्य को पूरा नहीं होने दिया। इस तरह उस दौर में चाम्पा जिला नहीं बन सका। राजनीति के क्षेत्र में पिता के नक्शे कदम पर चल रहे डॉ. चरणदास महंत के मन में यह टीस रह गई। पिता बिसाहूदास महंत के निधन उपरांत नायब तहसीलदार की नौकरी छोड़कर जनता की मंशानुरूप डॉ. चरणदास महंत राजनीति में उतरे और जनता ने उन्हें हाथों-हाथ लिया। डॉ. महंत चाम्पा से विधायक निर्वाचित हुए परंतु उन्हें यह बात लगातार सालती रही कि चाम्पा पृथक जिला नहीं बन सका। वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी जिसमें मंत्री रहे। गृह और वाणिज्यकर जैसे बड़े विभाग में मंत्री रहते हुए कद्दावर नेता के रूप में डॉ. महंत उभरे। डॉ. महंत एक ऐसे राजनेता रहे जो 25 मई 1998 को जांजगीर-चाम्पा के साथ-साथ कोरबा जिला गठन का ऐतिहासिक निर्णय कराने में सफल हुए। जन सुविधाओं के विकेन्द्रीकरण को समझकर डॉ. महंत एक ऐसे युगपुरूष बनने में आज के राजनैतिक परिवेश में सफल हुए जो वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार में भी जनभावनाओं को सर्वोपरि रखे हुए हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा अध्यक्ष के महज ढाई साल के कार्यकाल के दौरान डॉ. महंत अपने निर्वाचन क्षेत्र सक्ती व अपने गृह जिला से लगे सारंगढ़ तथा पूर्व में 2 बार सांसद रह चुके कोरबा लोकसभा क्षेत्रांतर्गत गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही और अब मनेन्द्रगढ़ को जिला घोषित कराने में सफल रहे। वैसे यह बात इस मौके पर बताना अनिवार्य है कि मनेन्द्रगढ़ के लोगों ने 41 साल पहले जिला बनने का सपना देखा था। यह प्रयास डॉ. महंत के सांसद बनने के बाद से शुरू हुआ किंतु 15 वर्षों तक भाजपा की सरकार होने के कारण वे ज्यादा कुछ नहीं कर सके। अब जबकि कांग्रेस की सरकार में वे विधानसभा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण व संवैधानिक पद पर बैठे हैं, तब जनभावनाओं को मनोयोग से पूरा करने में भी अग्रणी है। उन्होंने समग्र जनता की ओर से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार एवं कृतज्ञता व्यक्त की है।
सक्ती को पृथक जिला बनाए जाने के पीछे डॉ. चरणदास महंत की मूल भावनाओं को समझा जा सकता है। चंद्रपुर, जैजैपुर व सक्ती को मिलाकर नवगठित जिला सक्ती अस्तित्व में आया है। सक्ती को जिला बनाने से निश्चित ही विकास की रफ्तार बढ़ेगी और लोगों में अपेक्षित हर्ष भी है परंतु विकास को सही मायने में तभी समझा जा सकेगा जब तीनों विधानसभा क्षेत्र से होने वाले सर्वाधिक पलायन को रोका जा सकेगा।