समझने नहीं देती सियासत हमको सच्चाई….. कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पण नहीं मिलता….

शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )     

मोदी जी को केंद्र सरकार अपनी छवि को लेकर परेशान है, कभी किसान आंदोलन से उनकी छवि खराब करने की कोशिश होती है तो कभी राफेल खरीदी को लेकर उनकी छवि खराब करने की कोशिश होती है, कभी पेगासस जासूसी मामले को उठाकर विपक्ष मोदी की अंतर्राष्ट्रीय नेता की छवि को आघात पहुंचाने का प्रयास करता है, दरअसल मोदी ,शाह की जोड़ी को स्पष्ट बहमत के बाद भी सिमटा-सिमटा विपक्ष परेशान करने का मौका नहीं चूकता है। कभी कोरोना काल में आक्सीजन की कमी को लेकर उन्हें निशाना बनाया जाता है तो कभी गंगा में तैरती लाशों को लेकर विपक्ष के हमले से उनकी छवि को नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया जाता है….। देश में नोटबंदी, कश्मीर का विभाजन, धारा 370 , एक देश एक कानून के तहत जीएसटी लागू करना, कोरोना काल की उपलब्धियां, मुफ्त वैक्सीन लगाने जैसे कितने महान कार्य केंद्र सरकार ने किया है…..? पड़ोसी राज्यों को निपटाने राफेल जैसा अत्याधुनिक लड़ाकू विमान खरीदा है, दिल्ली में सेंट्रल विस्टा का निर्माण शुरू किया है, अंग्रेजों के जमाने के संसद भवन को आधुनिकता का रूप देने का प्रयास किया है, कुछ राज्यों में जोड़ तोड कर अपनी पार्टी की सरकार बनाई है पर विपक्ष को यह नहीं दिखता है… ?विपक्ष कोरोनाकाल में केंद्र सरकार की लापरवाही, लाकडाऊन से बढ़ी बेरोजगारी, जीएसटी तथा अन्य कुछ मदों की रकम केंद्र द्वारा राज्यों को नहीं दिये जाने से बिगड़ती आर्थिक स्थिति, पेट्रोल-डीजल, खाद्य सामग्री तेल आदि की बेरफ्तार बढ़ती कीमतों को लेकर परेशान है, उसे मुद्दा बना रहा है। इजाराइली पुराने हेकिंग हाफ्टवेयर पेगासस की जासूसी से परेशान है…?यदि राहुल गांधी की जासूसी हो रही थी तो भाजपा सरकार की मंत्री स्मृति इरानी सहित सीबीआई के पूर्व प्रमुख, एक चुनाव आयुक्त सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश ,मानव अधिकार तथा अन्य कार्यकर्ताओं , पत्रकारों की भी तो जासूसी हो रही थी…? केंद्र सरकार इसकी जांच कराने तैयार नहीं है और न ही स्वीकार/अस्वीकार करने की स्थिति में है कि यह जांच उसने कराई है, बल्कि सरकार इस खुलासे को “भारत को बदनाम” करने साजिश कह रही है वैसे अन्य केंद्र सरकारों के समय भी जासूसी होती थी पर हैक करके जासूसी करना तो भारत में गैर कानूनी कृत्य है।
भाजपा की केंद्र सरकार दूसरी बार सत्तारूढ़ है पर उन्हें इतराना ठीक नहीं है…। क्योंकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस न तो 2 सीट पर है और ही भाजपा 400 लोकसभा सीट जीत चुकी है ?क्या हर मुद्दे पर भाजपा द्वारा कांग्रेस सरकारों की कमियां गिनाना ही हर मसले का हल है। कभी नेहरू, कभी गांधी कभी डॉ. मनमोहन सिंह तो कभी राहुल गांधी ही उनके निशाने पर होते हैं हर आरोप पर मोदी टीम तर्क संगत जवाब देने के बजाए, राहुल गांधी का नाम क्यों लेने लग जाती है….? देश में वैक्सीन की कमी है राज्यों में अनुपलब्धता के सवाल पर मोदी टीम का जवाब आता है क्या राहुल गांधी ने वैक्सीन लगवाई है? इसका मतलब तो यही है कि यदि राहुल ने वैक्सीन नहीं लगाई तो क्या देशवासियों को मोदी सरकार वैक्सीन उपलब्ध नहीं कराएगी….? क्या पूर्ववर्ती सरकारों की कमियां गिनाने में मोदी सरकार को कुछ भी करने नहीं करने का अधिकार मिल जाता है…? अच्छे दिनों के सपने दिखाकर जनता को भरमाने वाली मोदी सरकार में शामिल कई नेताओं का इतराना भी समझ के परे हैं। कांग्रेस मुक्त भारत के मोदी टीम के सियासी सपने की भी हवा निकल चुकी है। मोदी टीम को इतिहास से सबक लेना चाहिए। कांग्रेस अभी तक भाजपा की तरह 2 लोकसभा सीटों (1984 के लोस चुनाव) पर नहीं आई है तो नरेन्द्र मोदी ,शाह की भाजपा भी कांग्रेस की तरह 400 से अधिक लोकसभा सीटों (1984 के लोस चुनाव) पर नहीं आ सकी है…? ज्ञात रहे कि 1962 में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के समय भी 372( नरेन्द्र मोदी से अधिक) सीटें कांग्रेस की आ चुकी है।

बृहस्पतसिंह की हत्या कौन कराना चाहता है…?   

हाल ही में छत्तीसगढ़ की विधानसभा में एक रोचक दृश्य परिलक्षित हुआ…., मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी सीट पर काबिज थे। मुख्यमंत्री के एक अन्य दावेदार रहे डॉ. चरणदास महंत आसंदी (बतौर विधानसभा अध्यक्ष ) पर थे। मुख्यमंत्री के ही एक अन्य दावेदार रहे ताम्रध्वज साहू बतौर गृहमंत्री जवाब दे रहे थे और विषय थे मुख्यमंत्री पद के ही एक प्रबल दावेदार रहे सरगुजा महाराजा टीएस सिंह “बाबा”l कांग्रेस के एक विधायक बृहस्पत सिंह ने टीएस बाबा पर अपनी हत्या कराने का आरोप मढ़ा था। गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के विस में पहली बार के जवाब से असहज होकर बतौर पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस बाबा सदन से यह कहकर चले गये कि जब तक सरकार की तरफ से स्पष्ट उत्तर नहीं आता वे सदन में नहीं आएंगे…। दूसरे दिन गृहमंत्री साहू ने अपने जवाब में स्पष्ट किया कि बृहस्पत सिंह के काफिले पर हमले में टीएस बाबा का कोई हाथ नहीं था, बाबा वापस सदन में लौट गये, यदि पहले दिन ही यह स्पष्टीकरण आ जाता तो “बाबा” सदन छोड़कर नहीं जाते और भाजपा को सीमित दिनों के लिए आहूत विधानसभा सत्र में हंगामा करने का अवसर भी नहीं मिलता…? विधायक बृहस्पतसिंह को भी पहले दिन ही बयान दे देना था कि उन्होंने भावावेश में “बाबा” साहब पर आरोप लगा दिया था… जो उन्होंने दूसरे दिन ही सदन में दिया । यदि ऐसा होता सियासी अप्रिय स्थिति को टाला जा सकता था…।
पता नहीं क्यों बृहस्पति सिंह को लगता है कि कोई उनकी हत्या कराना चाहता है। एक कलेक्टर सरगुजा में थे तब तत्कालीन कलेक्टर पर भी हत्या कराने की बात बृहस्पत सिंह कर चुके हैं यही नहीं वे भाजपा के अभी राज्यसभा सदस्य रामविचार नेताम पर भी हत्या कराने का आरोप लगा चुके हैं…. इस बार उन्होंंने अपनी ही पार्टी के प्रमुख नेता तथा मंत्री टीएस बाबा पर “मुख्यमंत्री”बनने हत्या कराने का आरोप लगा दिया। वैसे कांग्रेस के प्रभारी पुनिया के रायपुर में होने के बावजूद उन्हें जानकारी देने की जगह पत्रकारवार्ता लेकर “बाबा साहब” पर हत्या कराने का आरोप लगाना, एक संसदीय सचिव सहित 15 से अधिक विधायक की उपस्थिति छग में एक नये सियासी ड्रामे की ओर ही संकेत करती है? खैर वक्ती तौर पर तो इस तमाशे की हवा निकल गई पर क्या छग कांग्रेस में अब सब ठीक है इसका दावा करने की स्थिति में कोई है….?वैसे ‘बात निकली है तो दूर तलक जाएगी….. यह तो तय माना जा रहा है देखना है बृहस्पतसिंह का क्या होगा…?

वंशवाद की राजनीति   

नेहरू-गांधी परिवार पर वंशवाद की राजनीति करने का आरोप मढ़ा जाता है पर भाजपा सहित अन्य राजनीतिक पार्टियां भी “वंशवाद” से अछूती नहीं है।
हाल ही में कर्नाटक में बसवराज बोम्मई के मुख्यमंत्री बनते ही वर्तमान में ऐसे मुख्यमंत्रियों की संख्या 7 हो गई है जिनके पिता भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं। पड़ोसी राज्य ओडि़सा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक भी मुख्यमंत्री रह चुके हैं वहीं आंध्रप्रदेश, अरूणाचल प्रदेश, मेघालय, तमिलनाडु तथा झारखंड के वर्तमान मुख्यमंत्रियों के पिता भी पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं। वैसे अभी तक 15 बार ऐसा अवसर आया है जब पिता के बाद पुत्र मुख्यमंत्री चुके हैं। अविभाजित म.प्र. में पं. रविशंकर शुक्ल के बाद उनके पुत्र पं. श्यामाचरण शुक्ल मुख्यमंत्री बने थे तो दूसरे बेटे विद्या चरण कई वर्षो तक केंद्र में मंत्री भी रहे ….। जम्मू कश्मीर में तो तीन पीढ़ी ही मुख्यमंत्री बन चुकी है। बिहार तथा तमिलनाडु में पति-पत्नी भी मुख्यमंत्री बन चुके हैं ! आंध्रप्रदेश में ससुर-दामाद तो जम्मू कश्मीर में पिता-पुत्री मुख्यमंत्री बन चुके हैं। वैसे अभी तक कुल मिलाकर 20 ऐसे मुख्यमंत्री हुए हैं जिनके परिवार वाले पहले मुख्यमंत्री रह चुके हैं। महाराष्ट्र में तो पिता मुख्यमंत्री हैं तो उन्हीं के मंत्रिमंडल में पुत्र भी बतौर मंत्री शामिल हैं।

और अब बस….

0 निलंबित एडीजी जीपी सिंह के खिलाफ दुर्ग में एक व्यापारी से अवैध वसूली करने के आरोप में एक और एफआईआर दर्ज हो गई है।
0 प्रदेश के पंचायत एवं स्वास्थ्य मंत्री टीएस बाबा के अचानक सदन में जाने से पर हंगामा करने वाले भाजपा विधायकों को डॉ. चरणदास महंत ने समझाया कि इसके पहले लालकृष्ण आडवाणी भी ऐसा एकबार कर चुके हैं।
0 धर्मांतरण के मुद्दे पर अपने नीचे के अफसरों को पत्र लिखकर एक एसपी ने अपनी स्थिति खराब कर ली है।
0 छग के एक मंत्री की आंख के आपरेशन के बाद एक टिप्पणी… पहले भी उनके बच्चे आंख बनकर कार्य कर ही रहे थे?
0 छग के किस बड़े भाजपा नेता को केंद्र ने महत्वाकांक्षा पालने की जगह सिर्फ काम करने की सलाह दी है।
0चंदूलाल चंद्राकर स्मृति मेडिकल कालेज के सरकारीकरण का रास्ता साफ हो गया है।

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