दंतेवाड़ा: दंतेवाड़ा जिले 15 गांवों को पुलिस जल्द आजाद करने जा रही है। इस जिले में अभी 75 गांव संवेदनशीलता की सूची में शामिल है। इसमें से 75 गांवों को पुलिस आंकलन को आजाद कराने जा रही है। ग्रीन, रेड और येलो जोन में चिन्हांकित कर गांवों में घर-घर जाकर पुलिस सर्वे करवाकर गतिविधियों का आकलन करेगी। जिस भी गांव में नक्सल गतिविधियां शून्य पायी जाएगी। उसे संवेदनशीलता की सूची से बाहर रखा जाएगा।
पुलिस ने ऐसे 15 गांवों को चिह्नांकित कर लिया है। इन्हें 15 अगस्त को नक्सलमुक्त घोषित कर दिया जाएगा। दंतेवाड़ा एसपी डॉ. अभिषेक पल्लव की सूची के मुताबिक जिले के 75 गांव संवेदनशील हैं। इसमें से 42 गांव येलो जोन यानी संवेदनशील, 33 गांव रेड जोन यानी अति संवेदनशील और शेष ग्रीन जोन के गांव हैं। दंतेवाड़ा जिले में 4 ब्लॉकों में से गीदम ब्लॉक में 5 रेड व 7 येलो जोन के गांव हैं। दंतेवाड़ा ब्लॉक में 1 रेड तथा 15 येलो जोन के गांव हैं। कटेकल्याण ब्लॉक में 15 रेड व 6 येलो जोन तथा कुआकोंडा ब्लॉक में 12 रेड व 12 येलो जोन के गांव हैं।
दंतेवाड़ा पुलिस जिन 15 गांवों को स्वतंत्रता दिवस पर नक्सलमुक्त घोषित करने की तैयारी में है, उनमें बारसूर-गीदम के 2-2, भांसी के 4, दंतेवाड़ा के 5, कुआकोंडा व फरसपाल के1-1 गांव शामिल हैं। इनके नाम है हितामेट, हिड़पाल, बड़े सुरोखी, बड़े तमनार, धुरली, मसेनार, गमावाडा, बड़े कमली, चंदेनार, फूलनार, कुपेर, कवलनार, डूमाम, गढ़मिरी और केशपुर।
पुलिस का दावा है गांव को नक्सलमुक्त घोषित करने के पूर्व एक सर्वे कराया जा रहा है। अधिकारियों का दल गांव में पहुंचकर प्रत्येक ग्रामीण से एक प्रोफार्मा भरवा रहा है। इसमें पुलिस द्वारा तैयार 10 सवालों के जवाब पूछे गए हैं। इन सवालों में शामिल हैं- पिछले एक वर्ष के दौरान गांव में कोई नक्सल घटना घटी है क्या? गांव में कोई नक्सली संगठन सक्रिय है क्या? कोई नक्सली मीटिंग होती है क्या? गांव मे बिना सुरक्षा के निर्माण कार्य होते हैं क्या?
15 गांवों को सर्वे करवाकर उन्हें नक्सलमुक्त घोषित किया जा रहा है। 15 अगस्त को इसकी विधिवत घोषणा होगी। लोन वरार्टू अभियान में लगातार हुए सरेंडर और पिछले 2 साल में 40 से ज्यादा नक्सलियों के मारे जाने से नक्सली अपना प्रभाव नहीं जमा पा रहे हैं। फोर्स के नए कैम्प खुलने के बाद नक्सलियों की मुश्किलें और भी बढ़ गई हैं। बीते 2 साल में नक्सली जिले में किसी बड़ी वारदात को अंजाम नहीं दे पाए हैं।
– डॉ. अभिषेक पल्लव, एसपी, दंतेवाड़ा