रामपुर : रामपुर के चर्चित बावनखेड़ी हत्याकांड की सीबीआई से जांच कराने की मांग राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने खारिज कर दी है। आयोग ने कहा है कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसमें आरटीआई कार्यकर्ता ने आयोग में अर्जी लगाई थी। इस हत्याकांड में शबनम को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है और फिलहाल वह बरेली की जेल में बंद है। दानिश खां ने 21 फरवरी 2021 को मानवाधिकार आयोग में अपनी अर्जी लगाई थी, जिसे 20 मई को दर्ज किया गया था। दानिश ने मांग की थी कि बावनखेड़ी कांड की सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए। उन्होंने तर्क दिया था कि यूपी पुलिस की जांच के आधार पर शबनम को दोषी ठहराया गया है। उनकी दूसरी मांग थी कि अगर शबनम को फांसी दी जाए तो इसके लिए महिला जल्लाद की व्यवस्था की जाए, क्योंकि देश में पहली बार किसी महिला को फांसी दी जाएगी। ऐसे में किसी पुरुष जल्लाद द्वारा महिला को फांसी देना उचित नहीं है।
आयोग ने दानिश की अर्जी को दर्ज तो कर लिया था, लेकिन इसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला उसके अधिकार क्षेत्र का नहीं है।
क्या है बावनखेड़ी कांड…
अमरोहा जनपद के बावनखेड़ी गांव में 14 अप्रैल 2008 की रात को शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने ही परिवार के सात लोगों की कुल्हाड़ी से काटकर हत्या कर दी थी। मृतकों शबनम के मां-बाप, उसके दो भाई, एक भाभी, एक मौसी की बेटी और शबनम का एक भतीजा यानी एक बच्चा भी शामिल था।
शबनम ने इस मामले को घूमाने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस की जांच में सच सामने आ गया। पुलिस ने शबनम और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया था। अमरोहा के जनपद न्यायालय से दोनों को 2010 में फांसी की सजा सुनाई थी।
मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम तक तक पहुंचा, जहां दोनों की फांसी की सजा बरकरार रखी गई। 2016 में राष्ट्रपति ने शबनम की दया याचिका खारिज कर दी थी। हालांकि अभी उसका डेथ वारंट जारी नहीं हुआ है।
शबनम को अगस्त 2019 में मुरादाबाद से रामपुर के जिला कारागार में भेज दिया गया था। फरवरी माह में जेल के अंदर का उसका फोटो वायरल होने के बाद उसे यहां से बरेली की जेल भेज दिया गया था।