अरविन्द दुबे। विश्व के अनेक देश ऐसे हुये हैं जिनके राष्ट्राध्यक्ष बेहद गरीब परिवार मे जन्मे और संघर्ष भरा रास्ता तय कर अपने देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचे। ऐसा ही पूर्व एशिया का छोटा सा देश है इंडोनेशिया। जिसकी आबादी महज चालीस करोड है। पूरे विश्व मे इस देश की चर्चा इसकी प्राक्रतिक खूबसूरती और खतरनाक ज्वालामुखी के लिये तो होती है लेकिन इस देश को उसके राष्ट्रपति के लिये भी जाना जाता है। जी हां इंडोनेशिया के वर्तमान राष्ट्रपति ज़ोको विडोडो उस देश की उस परंपरा को तोड कर राष्ट्रपति बने हैं जिसमे देश के रसूखदार या सेना के बडे जनरल ही राष्ट्रपति बनते आये हैं। ज़ोको विडोडो का जन्म इंडोनेशिया के सुरकातो प्रांत मे हुया, उनके पिता लकडी के कारीगर थे। उन्हे ज़ोको विडोडो और उनकी तीन बहनो वाले परिवार को चलाने के लिये लकडी के कारखाने मे कई घंटे काम करना पडता था। जिस बस्ती मे उनका झोपडीनुमा घर था वह सरकारी भूमि पर अतिक्रमण कर बनाया गया था। सरकारी अधिकारी अक्सर उनके घर को उजाड देते थे ऐसे मे लकडी और घास से पूरे परिवार को फ़िर से घर तैयार करना पडता था। उन्होने अपनी स्कूली शिक्षा समाज के गरीब तबके के लिये चलाये जाने वाले स्कूल से पूरी की। इस दौरान उन्हे अपने और स्कूल के खर्च उठाने के लिये पिता के साथ लकडी के कारखाने मे घंटो काम करना पडता था। तमाम परेशानियों के बावजूद उन्होने स्कूली शिक्षा बेहतर अंको से पास की और वानिकी शास्त्र मे कालेज की डिग्री हासिल की,इसके बाद ज़ोको विडोडो ने छोटी नौकरी भी की लेकिन लकडी के काम करने वाले ज़ोको विडोडो अपने पुश्तैनी लकडी के कारखाने मे फ़िर वापस आये और उन्होने फ़र्नीचर बनाने का काम शुरु किया जिसमे उन्हे इतनी सफ़लता मिली कि वे फ़र्नीचर के निर्यातक बन गये।
राजनैतिक सफ़र
साल 2005 मे उन्होने राजनीति के क्षेत्र मे आने का फ़ैसला किया और सुरकाता के महापौर के महापौर चुने गये। महापौर के पद पर काम करते हुये उन्होने प्रगतिशील सुधारों का काम बेहद ईमानदारी से किया जिससे पूरे देश मे बेहद सम्मान दिया जाने लगा। साल 2012 मे उन्होने जकार्ता प्रांत के लिये चुनाव लडा और नब्बे प्रतिशत वोट हासिल कर गवर्नर चुने गये। इसके बाद साल 2014 मे इंडोनेशियाई डेमोक्रेटिक पार्टी आफ़ स्ट्रगल ने उन्हे राष्ट्रपति बतौर चुनाव मे उतारा जिसमे ज़ोको विडोडो ने शानदार जीत हासिल की और इंडोनेशिया के राष्ट्रपति बने। वे पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जो कि सेना या फ़िर इंडोनेशिया के अमीर परिवार से नही आते हैं। अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के बाद साल 2019 मे हुये आम चुनाव मे उन्हे दोबारा राष्ट्रपति के पद के लिये चुना गया।
साधारण जीवन शैली
ज़ोको विडोडो को इंडोनेशिया मे ज़ोकोवी के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रपति बनने के बाद भी उनकी जीवन शैली मे कोई बडा परिवर्तन नही आया है। वे बेहद साधारण कपडे पहनते हैं और सुरक्षा के तामझाम के बिना लोगो के बीच मे अपना समय बिताते हैं। ज्यादातर गरीबो की बस्तियों के दौरे करते हैं। गरीब छात्रों के लिये स्मार्ट जकार्ता कार्ड जारी किया जिससे छात्र अपनी स्कूली जरुरत को पूरा करने के लिये एटीएम से पैसे निकाल सकते हैं। इंडोनेशिया की स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिये उन्होने स्वस्थ जकार्ता कार्ड योजना भी शुरु की है जिसमे सभी को निशुल्क उपचार देने का काम किया जा रहा है।
भगवान श्रीक्रष्ण आदर्श मोदी के दीवाने
इंडोनेशिया भारत का पडोसी देश है। अंडमान निकोबार द्वीप की समुद्री सीमा से सटे हुये इस पडोसी देश से भारत के दो हजार वर्ष से ज्यादा पुराने संबंध हैं। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भगवान श्रीक्रष्ण के जीवन दर्शन से बेहद प्रभावित हैं। उनका मानना है कि भगवान श्री क्रष्ण के द्वारा भगवत गीता मे बताये जीवन सार को अपनाने से विश्व मे एक दूसरे के प्रति विश्वास बढेगा और लोगों मे मदद की भावना बढेगी। ज़ोको विडोडो भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बेहद प्रभावित हैं उन्होने अपने पोते का नाम भी श्री नरेंद्र रखा है। ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार व विदेश मामलों के जानकार हैं )