सोशल मीडिया कंपनियों पर रूस में शिकंजा, कंपनियों को देश में अपना दफ्तर खोलना अनिवार्य वर्ना…

मास्को : रूस में अमेरिकी सोशल मीडिया कंपनियों पर शिकंजा कसने की तैयारी शुरू हो गई है। रूसी संसद- ड्यूमा में एक बिल पेश किया गया है, जिसके तहत सभी सोशल मीडिया कंपनियों के अपना दफ्तर रूस में खोलना अनिवार्य हो जाएगा। जो कंपनियां ऐसा करने से इनकार करेंगी, उन पर पाबंदी लगा दी जाएगी। पाबंदी के तहत वे रूस में कोई विज्ञापन या किसी तरह का भुगतान स्वीकार नहीं कर पाएंगी।

गौरतलब है कि खासकर ट्विटर से रूस सरकार का विवाद हाल के महीनों में बढ़ता गया है। बीते मार्च में रूस और ट्विटर के बीच तनाव तब काफी बढ़ गया, जब रूस सरकार ने हजारों ट्विट्स को उससे हटाने के लिए उससे कहा था। लेकिन ट्विटर ने इस अनुरोध को मानने से इनकार कर दिया। तब रूस से संघीय रेगुलेटर रोस्कोमनाद्जोर ने ट्विटर के अधिकारियों को बातचीत के लिए बुलाया। लेकिन उसके बावजूद ट्विटर ने रूसी अधिकारियों से संपर्क नहीं किया।

अब रूस की सत्ताधारी यूनाइटेड रशिया पार्टी के सांसद अलेक्सांद्र खिनश्तीन ने एक बिल संसद में पेश किया है। खिनश्तीन का दावा है कि उन्होंने जो कानून प्रस्तावित किया है, उससे सोशल मीडिया यूजर्स के हितों पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। लेकिन ये कानून बनने के बाद सोशल मीडिया कंपनियों की जवाबदेही तय करना संभव हो जाएगा। जानकारों के मुताबिक अभी चूंकि सोशल मीडिया कंपनियों का दफ्तर रूस में नहीं होता है, इसलिए वे रूस सरकार के निर्देशों की अवहेलना आसानी से कर देती हैं। ऐसे में रूस सरकार के पास कार्रवाई करने का कोई उपाय नहीं होता। लेकिन जब इन कंपनियों के दफ्तर रूस में होंगे, तब इन कंपनियों को रूस सरकार की बात सुननी पड़ेगी।

प्रस्तावित बिल में प्रावधान है कि जिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के रूस में पांच लाख से ज्यादा यूजर हैं, उनके लिए रूस में अपना दफ्तर खोलना अनिवार्य होगा। ये दफ्तर रूस में उन कंपनियों के हितों की नुमाइंदगी करेंगे और कंपनी की हर गतिविधि के लिए जिम्मेदार होंगे। वे सरकार और रूसी अदालतों के सामने कानूनन जवाबदेह होंगे। जो कंपनी दफ्तर खोलने से इनकार करेगी, उस पर रूसी विज्ञापन और रूस में किसी प्रकार का भुगतान ग्रहण करने पर पूरी रोक लग जाएगी।

रूस सरकार की शिकायत यही है कि सोशल मीडिया क्षेत्र में अपने एकाधिकार के कारण ये कंपनियां रूसी कानूनों का उल्लंघन करती रही हैं। खिनश्तीन ने कहा है कि इस समस्या से उबरने का तरीका यही है कि विदेशी आईटी कंपनियों के लिए “आर्थिक प्रोत्साहन” के ऐसे उपाय कर दिए जाएं, जिससे वे रूसी कानून का पालन करने के लिए मजबूर हो जाएं।

ट्विटर से मार्च में हुए विवाद अपने चरम पर पहुंचा था। लेकिन उसके काफी पहले से सोशल मीडिया कंपनियों के साथ रूस सरकार का टकराव चल रहा है। रूसी रेगुलेटर रोस्कोमनाद्जोर के मुताबिक ट्विटर ने बाल पोर्नोग्राफी या आत्महत्या के लिए भड़काने वाले ‘गैर कानूनी’ पोस्ट्स को हटाने के निर्देशों की भी अवहेलना कर दी है। उधर बीते फरवरी में रूस के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया जाखारोवा ने ट्विटर को पश्चिमी देशों की सरकारों का उपकरण बताया था। उन्होंने कहा था कि ट्विटर दुनिया भर में पश्चिमी देशों के अवैध डिजिटल आदेशों को लागू करने का माध्यम बना हुआ है।

बीते मार्च में रोस्कोमनाद्जोर ने पोस्ट हटाने का आदेश ना माननेन के आरोप में ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम, टिकटॉक, यू-ट्यूब और टेलीग्राम एप पर जुर्माना लगाने की घोषणा की थी। साथ ही दो रूसी वेबसाइटों पर भी जुर्माना लगाया गया था। लेकिन बात अब उससे आगे बढ़ गई है। अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को रूसी निर्देशों का पालन करने या अपना मुनाफा गंवाने के बीच में से किसी एक चुनना होगा।

 

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