– रणजीत भोंसले
(मास मीडिया एक्सपर्ट रायपुर छत्तीसगढ़)
18+ के सभी लोगो को वेक्सीन लगेगी । राज्य सरकारों के लिए वाकई में कोविड की असली परीक्षा अब शुरू हो रही ।
क्योकि इस बार वेक्सीन खरीदने से लेकर योग्य व्यक्ति को ही वैक्सीन लगने और उसके बाद के सभी हालत की जिम्मेदारी सबंधित राज्य सरकार की ही होगी ।
मसलन कौन सी वेक्सीन खरीदना है वो अपने राज्य के लोगो को कितने में प्रदान करना य्या मुफ्त देना इन सब के लिए ठीकरा फोड़ने अब उनके पास कोई ऑप्शन नही रहेगा ।
हालांकि 45 से ऊपर के नागरिकों को पहले की तरह मुफ्त में वेक्सीन केंद्र सरकार उपलब्ध कराते रहेगी । इसका वेक्सिनेशन सेंटर अलग रहेगा इस पर विचार किया गया है ।
पहले वेक्सिनेशन में कई बातें सामने आयी थी जिसमे सबसे बड़ा मुद्दा वेक्सीन वेस्टेज का था ।उसके बाद वेक्सीन अपात्र लोगों को लागये जाने की भी घटनाएं सुनने में आयी जिसमे कई नेताओं अस्पताल के डॉक्टरों ने 45 से कम अपने नजदीकी लोगो को भी फर्जी कोरोना वारियर दिखा कर वेक्सीन लगा दिया जिससे वास्तव में जिन्हें वेक्सीन लगनी थी इस गड़बड़झाले के सामने आने से नही लग पायी ।
एक सबसे बड़ा मुद्दा यह सामने आया कि वेक्सीन उन्ही को लगनी थी जिनको कोविड नही हुआ है य्या कोविड हुआ पर ठीक होकर कमसे कम 6 हफ्ते बीत चुके । तो जिनका कोरोना टेस्ट हुआ जिन्होंने अपना आधार और मोबाइल सही लिखवाया वो ट्रेस हो गए और वेक्सीन टाइम पर लगी ।
पर बहुत से लोग पाजेटिव निकले पर आधार मोबाइल गलत लिखवाए इसके साथ वो लोग जो A सिम्पटमेटिक थे जिनका टेस्ट हुआ नहीं ये दोनों प्रकार के लोगो को कोरोना हुआ पर घर मर ठीक हो गए इनमें पढेलिखे ग्रामीण सभी थे जानकारी के आभाव में समय से पहले इन्हें भी वेक्सीन की डोज दे दी गयी । इससे वेक्सिनेशन के बाद बहुत से लोगो को तकलीफें होने लगी ।
जबकि इनकी ऐन्टीबॉडी चेक करके यदि वेक्सीन लगती तो शायद उन्हें परेशानी नहीं होती ऐसा मीडिया में वेक्सिनेशन के लिए आवश्यक बातों को पढ़ महसूस हो रहा ।
अब इन तमाम बातों के लिए राज्य सरकारों को सर फुटव्वल करनी होगी । ऊपर से तेज़ गर्मी का मौसम इतने लोगो के वेक्सिनेशन सेंटर्स पर जमा होने पर उनमें सोशल डिस्टनसिंग की व्यवस्था जबकि अब तो हवा से संक्रमण फैलने की बाते सामने आ रही ।
सबसे बड़ी चुनौति तो उन लोगो को ट्रेस करना है जिनको कोविड से ठीक हुए 6 हफ्ते नहीं बीतें है ठीक है जिनके आधार मोबाइल कोविड टेस्ट के समय दर्ज है उन्हें तो सरकार रोक लेगी लेकिन जो लोग अपना आधार मोबाइल नम्बर गलत लिखवाए वो पाजेटिव निकले थे और वो लोग जो A सिप्टमेटिक थे याने उन्हें पता ही नही कि कब उनको कोविड़ हुआ और आपने आप व्व ठीक भी हो गए ऐसे लोगो को सरकार कैसे ट्रेस करेगी ?
कही ऐसे लोगो को अनजाने में वैक्सीन लग गयी और दुष्परिणाम सामने आने लगे तो इस स्थिति से निपटने के लिए सरकार के पास अग्रिम कोई कार्ययोजना है भी य्या नही इसकी अभी तक कोई जानकारी नही है । इस बार गलती का परिणाम सरकारो को खुद भुगतना पड़ेगा क्योकि इस बार एक दूसरे के सर गलती का ठीकरा फोड़ने का मौका शायद नहीं मिल पायेगा।
ये लेेेखक के निजी विचार हैंं