कोरोना संकट और बे मौसम बारिश का होना किसानों के लिए बना सिर दर्द

यशंवत गिरी गोस्वामी,धमतरी : कभी भी अचानक तेज आंधी तूफान गरज चमक के साथ बारिश ओर ओले गिर रहे हे ,आज पूरा देश कोरोना संकट से जूझ रहा है हर वर्ग परेशान है देश मे आर्थिक संकट पैदा हो रहा है और हमारे देश के अन्नदाता भी इस वर्ष हर सप्ताह बे मौसम बारिश के चलते परेशान हो गया है हर 4 से 5 दिन में तेज आंधी तूफान के साथ कभी ओला गिरना तो कभी तेज बारिश होना ये कोई आम बात नही रह गया

इस साल छत्तीसगढ़ में असामयिक वर्षा हो रहा है जो समझ से परे है और इसका सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है ,एक ओर जहां शासन ने सर्वे कर मुवाज़ा के लिए अधिकारियों को तो बोल दिया है लेकिन दूसरे ओर अधिकारी लोग किसानों को नियम काननू का हवाला देकर प्रकरण बनाने से भी बचते नज़र आ रहे है अधिकांश फसल छति होने के बावजूद शासन के माप दंड से ऊपर का पैदावारी आ रहा है बोल दिया जाता है

नुकसान तो आखिर नुकसान है इन किसानों का आंसू पोछने के लिए, सुध लेने के लिए सरकार कब अपना अमला से सही तरीके से कम करवाएंगे पता नही,अंचल में किसानों से चर्चा करने में पता चला कि उनकी फसल उत्पादन में बहुत लागत आती है अभी के स्थित में उत्पादन नही के समान होगा उपज केवल मजदूरों के लायक होने की संभावना बताई जा रही है किसानों के सामने दवाई, खाद का कर्ज ना चुकाने की स्थिति निर्मित हो रही है

हर काम अब मजदूरों के भरोसे हो रहा है जिससे लागत दुगनी हो गई मौसम साफ होने की वजह से हार्वेस्टर मसीन से धान कटाई होने से थोड़ा बहुत राहत मिल जाता था पर इस बार हर 4,5 दिन में बारिश होने की वजह से मशीन से धान कटाई मुश्किल हो गया है हर काम मजदूरों के सहारे हो गया है और ऊपर से मजदूर ढूंढने में नही मिल रहा है क्योकि हर गांव में रोजगार गारंटी का काम खुलने से मजदूरों की दिक्कत हो रही है

अंचल के आस पास के गांव जैसे राँवा ,कुर्रा, तरसींवा, भाननपुरी,मोखा,बागतराई अमलीडीह,भोथिपर, देमार,खपरी आदि गांवो में कृषि कार्य जोर सोर से चालू हो गया था जो बार बार हर 2,4 दिन के बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दिया है पहले ओला वृष्टि की मार और हर 2,4 दिन में पानी की मार ऐसे में किसानो की किसानी चौपट होना लाज़मी है,अब ऐसे में बेचारे किसान करे तो क्या करे, इस वर्ष किसानों के लिए पूरा और पूरा नुकसान दायक साबित हो रहा है इतना सब हो जाने के बाद भी पटवारी लोग शासन के माप दंड का हवाला देते है अगर शासन के मापदंड में जाये तो किसी भी गांव में कोई प्रकरण नही बन पायेगा एकाद गांव को छोड़ दे तो पूरा के पूरा फसल कहि चौपट नही हुआ है

ऐसा फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों का कहना है, पर इन अधिकरियों को कौन समझाये की किसानो की माली हालत खस्ता है हर गांव में अधिकांश किसानों की 50% तक फसल का नुकसान हुआ है, अगर किसी किसान का 50%भी फसल नही होता तो सोचो उसपे क्या गुजरेगी ,सरकार कम से कम किसानों के बारे में सोचे और ऐसे समय मे कम से कम उन्हें उचित मुआवजा दे और इन किसानों को खरीफ फसल के घोषणा के अनुसार 685 रुपये की अंतर की राशि भी जल्द से जल्द उनके खाते में डाल दे और इस रबी सीजन में उचित जांच करवाकर मुआवजा दिलाया जाय

तभी किसान जीवित रह पाएगा नही तो कोरोना से भी भयावाह स्थिति किसानों की देखने को मिलेगी यह किसानों का काहना हे ग्राम राँवा से डालेश्वर साहू,गोपालन पटेल ,चिरौंजी सिन्हा, दयाराम सिन्हा, अरुण नेताम,घनश्याम साहू,चिन्तु राम साहू,उद्दल बांधे, गणेश बांधे,भीखूराम निषाद, तरसींवा से केशव साहू,मोखा के किसान घनश्याम देवांगन, भीखम देवांगन,बलदाऊ साहू,मन्नू लाल ध्रुव,बाला राम देवांगन मड़ाईभांठा के किसान मुरारीराम यदु,मुकेश साहू,,जितेन्द्र साहू,अमलीडीह के किसान शिवदयाल साहू सरपंच,धुरसिंग साहू,नीलमणि साहू,श्याम देव साहू आदि ने इस संबध मे मिडिया से बात कही ।

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