नई दिल्ली : कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि कोरोना वायरस के टीके की खरीद एवं वितरण में राज्यों की भूमिका बढ़ाई जाए और टीके निर्यात पर तत्काल रोक लगाई जाए। उन्होंने आठ अप्रैल की तिथि वाले इस पत्र में यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार की ओर से सही तरीके से क्रियान्वयन न किए जाने और उसमें ‘लापरवाही’ के कारण टीकाकरण का प्रयास कमजोर पड़ता दिख रहा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि टीके के आपूर्तिकर्ताओं को जरूरी संसाधन मुहैया कराए जाएं ताकि टीके तैयार करने की क्षमता में इजाफा हो सके। कांग्रेस नेता ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण की नई लहर आने और टीकाकरण की गति कथित तौर पर धीमी होने का भी उल्लेख किया। उन्होंने दावा किया कि अगर मौजूदा गति से टीकाकरण चलता रहा तो देश की 75 फीसदी आबादी को टीका लगाने में कई साल लग जाएंगे।
टीके के निर्यात पर रोक लगाने का किया आग्रह
उन्होंने यह आग्रह किया कि, ‘टीके के निर्यात पर तत्काल रोक लगाई जाए। नियमों और दिशानिर्देशों के अनुसार दूसरे टीकों को त्वरित अनुमति दी जाए। जिन्हें भी टीके की जरूरत है उनके लिए टीकाकरण की व्यवस्था की जाए। टीकाकरण के लिए तय राशि 35000 करोड़ रुपये में बढ़ोतरी की जाए।’
गरीब तबकों को सीधी आर्थिक मदद देने का किया आग्रह
उन्होंने प्रधानमंत्री से यह भी कहा कि टीके की खरीद एवं वितरण में राज्यों की भूमिका बढ़ाई जाए तथा इस मुश्किल समय में गरीब तबकों को सीधी आर्थिक मदद दी जाए। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने पत्र में कहा, ‘हमारे टीकाकरण अभियान को, अब टीके के प्रमाणपत्र पर किसी व्यक्ति की तस्वीर से आगे, अधिकतम टीकाकरण की दिशा में बढ़ाना होगा।’
दरअसल, टीकाकरण को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि देश में टीके की कोई कमी नहीं है। टीके की कमी कहने वाले लोग राजनीति कर रहे हैं। पिछले दिनों कई राज्य सरकारों ने वैक्सीनेशन कम होने का दावा किया है। महाराष्ट्र, दिल्ली, यूपी, ओडिशा, झारखंड समेत अन्य राज्यों में पर्याप्त मात्रा में कोरोना टीके का स्टॉक नहीं होने से केंद्रों पर वैक्सीनेशन का काम रोक दिया गया है। पिछले दो दिनों से महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि महाराष्ट्र में कोरोना वैक्सीन की किल्लत की वजह से लोगों को टीका लगाए बिना ही वापस भेजे जा रहे हैं। महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री टोपे का आरोप है कि केंद्र महाराष्ट्र के साथ टीकाकरण में भेदभाव कर रही है।