रायपुर : प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता आर पी सिंह ने बयान जारी करते हुए यह सवाल पूछा है कि कोरोना संक्रमण की आपदा में राजनीतिक अवसर तलाश कर अपनी छोटी सोच का प्रदर्शन करने वाले डॉ. रमन सिंह और ओपी चौधरी क्या देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी नसीहत देने का साहस दिखा पाएंगे?
डॉ रमन सिंह 15 वर्षों तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में भाजपा मार्गदर्शक मंडल में डाल दिए गए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं, वहीं दूसरी तरफ ओपी चौधरी वरिष्ठ आईएएस अधिकारी रहने के साथ-साथ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के कलेक्टर भी रह चुके हैं। क्या दोनों महानुभावों को यह पता नहीं है कि देश में कोविड-19 नियंत्रण के लिए गृह मंत्रालय नोडल विभाग है और अमित शाह जी इसी विभाग के मंत्री भी हैं। जो कि कोविड-19 नियंत्रण के मूल काम को छोड़कर पांचों चुनावी राज्यों में लगातार रोड शो, आम सभाएं और रैलियां कर रहे हैं। देश के प्रधानमंत्री जिनकी अदूरदर्शी नीति, अक्षमता और नमस्ते ट्रंप जैसे कार्यक्रमों की वजह से देश में कोरोना ने अपने पैर पसारे वह भी इस समस्या को लेकर गंभीर नजर नहीं आते हैं। सभी चुनावी राज्यों में उनकी भी आम सभाएं और रैलियां नियमित रूप से हो रही हैं।
जहां तक छत्तीसगढ़ में कोविड-19 नियंत्रण की बात है तो संक्रमित व्यक्तियों का मिलना इस बात पर निर्भर करता है कि उस राज्य में जांच कितनी हो रही है क्या रमन सिंह जी भाजपा शासित राज्यों के कोविड-19 के आंकड़े सार्वजनिक करने का साहस दिखा पाएंगे? आंकड़े बताते हैं कि छत्तीसगढ़ की कुल आबादी में 58.33 लाख लोगों का कोविड-19 टेस्ट हो चुका है जबकि भाजपा शासित उत्तरप्रदेश में मात्र 15 प्रतिशत एवं पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में मात्र 7 प्रतिशत आबादी का ही कोविड-19 टेस्ट हो पाया है।
ऐसे समय में जब कोविड-19 की वैक्सीन उपलब्ध हो चुकी है तब इस संक्रमण से बचने का एकमात्र उपाय अधिक से अधिक संख्या में वैक्सीनेशन का ही रह गया है। छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार वैक्सीनेशन को एक महा अभियान के रूप में संचालित कर रही है इसीलिए छत्तीसगढ़ की अनुमानित आबादी 2 करोड़ 90 लाख लोगों में से लगभग 4 लाख लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है। राज्य की कुल आबादी में जितने लोगों को वैक्सीन लगाई जा चुकी है यह संख्या हिंदुस्तान के अनेक अग्रणी राज्यों से बेहतर है।
बेहतर होगा आपदा में अवसर तलाशने की बजाए डॉ. रमन सिंह और ओपी चौधरी इस समस्या से लड़ने में प्रदेश की जनता के साथ नजर आए ना कि उनके बीच भय का वातावरण बनाते हुए नजर आए।