शंकर पांडे ( वरिष्ठ पत्रकार )
किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटा हुआ है, किसान आंदोलन से जुड़े नेता देश के तमाम राज्यों में समर्थन मांग रहे हैं। भाजपा के खिलाफ मतदान करने की अपील कर रहे हैं… पूरे देश में छात्र नौकरी के लिए आंदोलन कर रहे हैं… सरकारी उपक्रम के कर्मचारी (बैंक, एलआईसी आदि) निजीकरण के खिलाफ आंदोलनरत हैं… कोरोना से मुक्ति के आसार नहीं दिख रहे हैं कुछ प्रदेशों में फिर कोरोना की रफ्तार बढ़ रही है, पहले से तनावग्रस्त फेडरल ढांचे में लगातार दबाव बढ़ रहा है। दरअसल इसके कई कारण हैं… एक कारण है मोदी प्रभावित भाजपा की विस्तारवादी नीति…. प्रधानमंत्री और उन की कैबिनेट दिनभर किसी न किसी मुख्यमंत्री से लड़ते रहते हैं. ऐसे में देश कैसे चलेगा, क्योंकि अकेले केंद्र सरकार से देश नहीं चलेगा…। इसमें राज्यों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है… भारत बहुत बड़ा देश है यहां की आबादी लगभग सवा सौ करोड़ है और हमारा संवैधानिक ढांचा ही फेडरल है। दिल्ली में सभी अधिकार उपराज्यपाल को लगभग सौंपने का बिल लाने से एक तरफ सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व फैसले का एक तरह से विरोधाभाषी होने की बात सामने आ रही है तो दिल्ली राज्य की चुनी हुई सरकार के अस्तित्व पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है…. जाहिर है कि इस बिल के विरोध में कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल मुखर होंगे, वैसे भी मोदी सरकार लगातार फेडरल ढांचे पर चोट करती जा रही है अपने राज्यपालों तथा केंद्रीय एजेंसियों के द्वारा….। अब तो राज्यों के पास केंद्र से टकराव छोड़कर कोई रास्ता भी नहीं बचा है। किसानों की उपज पर लागत से दो गुना करने की बात करने वाली केंद्र सरकार छग की कांग्रेस सरकार द्वारा 2500 रुपये प्रति क्विंटल धान खरीदने का विरोध करती है… वैसे भी जीएसटी आने के बाद पैसों के लिए राज्यों की निर्भरता केंद्र पर लगातार बनती जा रही है और धीरे-धीरे राज्य सरकारें केंद्र सरकार की उपनिवेश बनती जा रही है।
दरअसल इसके पीछे पूर्ण बहुमत से चुनी गई केंद्र सरकार, उसकी विस्तारवादी महत्वाकांक्षी सोच, आत्ममुग्धता से उत्पन्न हुआ अंधापन और गलतियों से सीखे जाने वाले सबक ही प्रमुख कारण हैं…?
हर सवाल का सवाल ही जवाब है….?
छत्तीसगढ़ विधानसभा के भीतर नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक, भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार से चुनावी घोषणा पत्र के कितने वादे पूरे किये यह जानना चाहते हैं बहस करने की मांग करते हैं… वे कहते हैं कि शराबबंदी, बेरोजगारी भत्ता आदि के वादे पूरे नहीं हुए हैं वहीं कुछ अन्य वादे भी पूरे नहीं हुए हैं…। भूपेश सरकार सभी मोर्चों में असफल है, विकास कार्य ठप्प पड़े हैं, राज्य सरकार लगातार कर्जे ले रही है आदि आदि….
अब उनसे यह पूछा ही जा सकता है कि केंद्र की उनकी पार्टी की भाजपा को जब लोगों ने इसलिए वोट दिया था क्योंकि कुछ भाजपा नेताओं ने भ्रष्टाचार मिटाने, कालाधन वापस, 2 करोड़ लोगों को हर साल रोजगार मुहैया कराने, पाक-चीन को सबक सिखाने, अपराधियों को संसद से बाहर करने, महंगाई, पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस के दाम कम करने, महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा सहभागिता बढ़ाने, आतंकवाद-नक्सलवाद खत्म करने, देश की आर्थिक दशा सुधारने किसानों की आत्महत्या रोकने का वादा किया था। भाजपा के नेताओं ने कांग्रेस के 60 साल के बदले 60 माह का समय मांगा था, कालाधान वापस लाकर 15 लाख लोगों के बैंक खातों में डालने का वादा किया था, किसानों की बेहतरी का वादा था पर क्या हुआ… देश को बिकने नहीं दूंगा का आश्वासन था पर देश की सम्पत्तियां सरकारी उपक्रम बेचे जा रहे हैं…। रसोई गैस की सब्सीडी अचानक कैसे बंद हो गई….. पेट्रोल-डीजल 100 रुपये लीटर के आसपास हो गये हैं, गैसे की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है पर अपनी पार्टी के मुखिया से तो नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक की पूछने की हिम्मत ही नहीं है…।
इधर भाजपा सरकार में स्काईवॉक जैसी योजना बनाने वाले पूर्व मंत्री भाई राजेश मूणत सवाल कर रहे हैं कि राज्य सरकार ने कोरोना सेस के नाम पर 600 करोड़ एकत्रित किये हैं वह कहां खर्च किये हैं उसका जवाब राज्य सरकार को देना चाहिये…. अरे भाई मूणतजी ‘कोरोना सेस’ का पैसा राज्य के सरकारी कोष में जमा हुआ है उसके हिसाब-किताब का तो आडिट भी होगा…. 31 मार्च तक तो रूक जाते वित्तीय वर्ष समाप्त होने का इंतजार कर लेते… अब कांग्रेसी मूणतजी से पूछ रहे हैं कि राज्य में कोरोना सेस का पैसा तो राज्य के कोष में जमा हुआ है उसका हिसाब-किताब तो देंगे पर पीएम केयर फंड में तो जो सांसदों का फंड, विभिन्न निजी कंपनियों का सीएसआर का पैसा जमा हुआ है और उस पीएम केयरफंड को आडिट के दायरे से बाहर रखा गया है उसका हिसाब किताब कैसे मिलेगा… आप लोग तो अपनी पार्टी के मुखिया से यह पूछ नहीं सकते हैं… सवाल उठाने के पहले अपने गिरहबान में भी देखना चाहिये….?
बहरहाल जब लोगों ने भाजपा को जिताया था तो बड़ी उम्मीद की थी भाजपा ने कहा था कि ‘नेशन फस्र्ट’ पर देश देख रहा है कि अब भाजपा के लिए किसी भी तरह से चुनाव जीतना और सत्ता में बना रहना फस्र्ट हो गया है… कुछ राज्यों में राज्यपालों की भूमिका, विधायकों का दलबदल कर चुनी सरकार को अपदस्थ करना ही अब प्रमुख ध्येय बन चुका है…?
खुड़मुड़ा कांड का खुलासा….
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पाटन विधानसभा क्षेत्र तथा दुर्ग जिले के खुड़मुड़ा हत्याकांड का खुलासा करने में आखिर पुलिस सफल हो ही गई। मां-बाप तथा भाई-भाभी की हत्या का आरोपी उसी परिवार का एक सदस्य निकला….. थोड़ी सी जमीन तथा अपने हिस्से की जमीन में जाने राह बनाने के नाम पर उसी ने इस हत्याकांड को अपने साथियों के साथ अंजाम दिया। हालांकि विपक्ष ने इस मामले को लेकर बड़ा दबाव बनाया पर दुर्ग के पुलिस अधीक्षक प्रशांत ठाकुर ने अपनी टीम के साथ वैज्ञानिक तरीकों का भी बखूबी इस्तेमाल किया। हालांकि उन्हें शुरू से ही शक था कि इस मामले में किसी जानकार का हाथ है पर छत्तीसगढ़ जैसे प्रदेश में एक कलियुगी बेटा-भाई इस घटना को अंजाम देगा यह तो कल्पना के बाहर था। बहरहाल, इतने बड़े हत्याकांड को सुलझाने के लिए दुर्ग रेंज के आईजी विवेकानंद और पुलिस अधीक्षक प्रशांत ठाकुर बधाई के पात्र तो हैं ही।
आईएएस और बुद्धिजीवी……
एक आईएएस अफसर (सीनियर) और एक बुद्धिजीवी की चर्चा फिर से मंत्रालय के गलियारे में तेज है। कभी भूपेश सरकार के करीबी रहे इस आईएएस अफसर को अब छग रास नहीं आ रहा है क्योंकि उनकी राज्य सरकार से दूरी बन चुकी है अब वे ऐन-केन प्रकारेण फिर से प्रतिनियुक्ति पर केंद्र में जाना चाहते हैं और उस बुद्धिजीवी ने उसे पड़ोसी राज्य के एक केंद्रीय मंत्री के साथ अटैच कराने का वादा भी कर दिया है, हाल ही में दोनों दिल्ली का भी दौरा कर चुके हैं… इधर मंत्रालय में फिर चर्चा तेज है कि इसी बुद्धिजीवी के चक्कर में आकर एक आईएएस अफसर की न केवल नौकरी गई बल्कि वह अभी भी कानूनी झमेले में फंसे हुए हैं। वैसे सूत्र कहते हैंकि यदि वह आईएएस अफसर उनके चक्कर में नहीं फंसे होते तो मुख्य सचिव की दौड़ में व सबसे आगे होते…. खैरे हाल फिलहाल में जो अफसर उनके चक्कर में हैं उन्हें कम से कम पुराने आईएएस अफसर से तो एक बार मिल लेना चाहिये…. ताकि उन्हें यह तो पता लग सके कि यह बुद्धिजीवी कितने प्रभावशाली हैं…?
और अब बस….
0 छत्तीसगढ़ सरकार के एक मंत्री के कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन के पदाधिकारी बनने की चर्चा तेज है?
0 रायपुर जिले में एक महिला आईएएस के कलेक्टर बनने की भी संभावना व्यक्त की जा रही है।
0 पाठ्य पुस्तक निगम में 72 करोड़ से अधिक की अनियमितता का खुलासा अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने किया है?
0 2001 बैच के आईपीएस आनंद छाबड़ा भारत सरकार में आईजी इम्पेनल हो गये हैं। हालांकि राज्य के गुप्तचर शाखा प्रमुख तथा आईजी रायपुर रेंज की दिल्ली जाने की दूर-दूर तक संभावना फिलहाल नहीं है?