बिप्लब कुण्डू,पखांजुर: सरकारी शराब दुकान में लगे सील को एसडीएम स्तर के अधिकारी के सामने खोलकर सबसे पहले स्टॉक की सम्पूर्ण जांच की जान चाहिए। शिवसेना छत्तीसगढ़ के युवविंग के प्रदेश सचिव अरुण पाण्डेय् द्वारा सभी जिलों एवं ब्लॉक में कार्यकर्ताओं को राज्य के मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर/एडीएम को ज्ञापन सौंपकर सरकारी शराब दुकानो के सम्पूर्ण स्टॉक रिपोर्ट व दुकानो में लगे सीसीटीवी कैमरों की फ़ुटेज जांच करने की मांग करने की सलाह दी है।
युवानेता अरुण पाण्डेय् का कहना हैकि शराब दुकान को एसडीएम / तहसीलदार स्तर के सक्षम अधिकारी के समक्ष ही खोला जाना चाहिए एवं दुकानो में लगे सील को खोलने तथा स्टॉक रजिस्टर में हेरा फेरी की जांच करनी चाहिए।
● अवैध शराब तश्करी के मामलों में जिला आबकारी अधिकारी की तय होनी चाहिए जिम्मेदारी।
● मामला सामने आने पर आबकारी अधिकारी पर की जानी चाहिए कड़ी कार्यवाही।
लॉक डाऊन के दौरान लगभग सभी जिलों व विकासखंड के गांव व शहरो में अवैध रूप से शराब कोचियो के द्वारा चार गुना कीमत पर बेची जा रही थी, जिनको कई जगहो में कार्यवाही कर पकड़ा भी गया है। अत: यह अंदेशा लगाया जा रहा हैकि आबकारी विभाग के मिलीभगत से सरकारी शराब दुकानो से कोचियो को शराब दिया गया है। जिनको चार गुना अधिक कीमत पर बेंचकर अतिरिक पैंसो की बंदरबांट किया गया है। जिसकी जांच करने पर सच्चाई सामने आ सकती है।
शिवसेना द्वारा यह मांग उस वक़्त की जा रही है जब लॉक डाऊन के बीच पुनः शराब दुकानों को खोलने का निर्णय सरकार ले रही है। शिवसेना का यह भी आरोप हैकि सरकार कुछ दिनों के लिए शराब दुकान खोलेगी और आमजनता एवं विपक्ष के विरोध के बाद पुनः दुकानें बंद भी कर देगी, लेकिन इस बीच कोचियों व बिचौलियों को भारी मात्रा में स्टॉक उपलब्ध करा देगी। इस तरह मार्किट में उन्हें सरकारी दाम में शराब उपलब्ध हो जाएगा जिसे चार गुना अधिक कीमत पर बेंचकर अतिरिक्त पैसों की बंदरबांट पुनः किया जावेगा।
ग्रीन जोन में शासकीय शराब दुकान को सोमवार से खोले जाने की खबरें आ रही है, ग्रीन जोन में राज्य के कई ज़िले आ रहे हैं। शराब दुकान बंदी के दौरान अंग्रेजी शराब की अवैध रूप से बिक्री की खबरें उठी और अनेक गांवो में बिक भी रही थी। सवाल यह हैकि आखिरकार कोचियों / बिचौलियों को बंदी के दौरान शराब मिला तो कहा से ?
यह जांच का विषय हैं, इसलिए राज्य के समस्त शराब दुकानों का सोमवार को क्षेत्रीय आबकारी अधिकारी के साथ तहसीलदार या अनुविभागीय अधिकारी (रा) दुकान के कर्मचारी के मौजूदगी में न कैमरा दुकान की सील तोड़कर स्टॉक मिलान किया जाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ताकि वास्तविक स्थिती आमजनता के सामने आ सके। जांच में अगर यह सामने आती है बंदी के पहले व अभी के स्टॉक में अंतर है तब ज़िला आबकारी अधिकारी से लेकर संबंधित दुकान के चौकीदार तक कड़ी कार्यवाही सरकार को करनी चाहिए। इसी तरह क्षेत्र में अन्य राज्यों की शराब तश्करी के मामले सामने आने पर ज़िला आबकारी अधिकारी की जिम्मेदारी तय करते हुए उनपर बर्खास्तगी जैसे कड़े कदम उठाने होंगे तभी राज्य में शराब की अवैध तश्करी पर लगाम लगाया जा सकेगा।