अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर आपने महिलाओं के शौर्य, साहस और उदारता की कई कहानियां सुनी होंगी। लेकिन आज जो हम आपको बताने जा रहे हैं, वह सबसे हटकर है। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके जी ने ऐसा क्या किया कि बस्तर के सुदूर एक आदिवासी अंचल की महिलाओं का जीवन ही बदल गया। देखें ये स्पेशल रिपोर्ट।
बस्तर के कोंडागांव जिले में एक गुमनाम सा गांव है सल्फीपदर। विशुद्ध रूप से आदिवासी सल्फीपदर गांव में 70 परिवार निवास करते हैं। इनमें मुख्यतः गोंड जनजाति के लोग हैं। इन दिनों सल्फीपदर में खुशियां छाई हुई हैं। क्योंकि सल्फीपदर में इनदिनों वह हो रहा है, जो आजादी के बाद से अब तक नहीं हुआ था।
सल्फीपदर में क्या हो रहा है ये बताने के पहले आपको वहां पहुंचने का रास्ता बता देते हैं।
जब आप रायपुर, धमतरी होते हुए बस्तर में प्रवेश करते हैं तो केशकाल घाटी आपका स्वागत करती है। केशकाल घाटी के खत्म होने के बाद सड़क मार्ग पर आपको अपनी कार या किसी भी वाहन से एक घण्टा सफर और तय करना होगा। तब आएगा लंजोड़ा। लंजोड़ा राष्ट्रीय राजमार्ग 30 पर ही स्थित है। मुख्य सड़क छोड़कर थोड़ा अंदर जाने पर आएगा सल्फीपदर।
सल्फीपदर में लोग इसलिए खुश हैं क्योंकि वहां सड़क बन गयी है। स्थानीय प्राथमिक स्कूल की बाउंडरी वॉल बन गयी है। हाई मास्ट लग गया है, जिससे गांव रात में भी रोशन रहता है। स्कूल में सोलर पंप लग गया है,पानी के स्टोरेज के लिए टँकी बन गयी है, ताकि विद्यार्थियों को पूरे समय पानी उपलब्ध होने लगा है। इतना ही नहीं स्कूल की छत पर किचन गार्डन बनने जा रहा है। गांव में कालीमिर्च की खेती शुरू की गई है ताकि आने वाले समय में सबको स्वरोजगार के अवसर मिल सकें। गांव में इमली के कई पेड़ हैं, जल्द ही यहां स्वयं सहायता समूह द्वारा इमली प्रोसेसिंग यूनिट भी शुरू होने जा रही है। जिससे गांव में समृद्धि भी आएगी।
आप सोच रहे होंगे कि एक छोटे से गांव में इतना विकास एक साथ कैसे हो गया। तो आपकी जिज्ञासा को शांत भी कर देते हैं।
दरअसल करीब एक वर्ष पूर्व छत्तीसगढ़ की राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके ने इस गांव को गोद लिया था। उन्होंने इस गांव को गोद लिया और रातों रात सल्फीपदर की तस्वीर बदलना शुरू हो गयी। इस बीच कोरोना जैसी महामारी भी आई। लेकिन सल्फीपदर विकास की इबारत लिखता रहा।
यहां का सरकारी स्कूल प्रदेश के सभी स्कूलों के लिए मॉडल है। क्लास रूम्स की दीवारे इसके गवाही खुद देती हैं।
देश में राजनेताओं द्वारा कई गांव गोद लिए गए हैं। लेकिन उनकी तस्वीर और तकदीर कभी नहीं बदल पाई है। लेकिन छत्तीसगढ़ की राज्यपाल के गोद लिए गांव को देखने नेताओं को एक बार सल्फीपदर जरूर आना चाहिए।