नई दिल्ली : रक्षा मामलों की संसदीय स्थायी समिति की गुरुवार को हुई बैठक में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और पैनल के अध्यक्ष जुएल ओराम के बीच तीखी बहस हो गई। बैठक के दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने नियंत्रण रेखा (एलएसी) की स्थिति, चीन के साथ हुए समझौते और राफेल विमान के मामले को उठाया। उन्होंने पूछा कि आखिर क्यों सरकार ने जब पहले 126 राफेल विमानों के लिए समझौता किया था तो उसे घटाकर 26 कर दिया।
कांग्रेस नेता ने पूछा कि सरकार इस नुकसान की ‘क्षतिपूर्ति’ कैसे करेगी। खासतौर से ऐसे समय पर जब भारत चीन और पाकिस्तान की तरफ से संयुक्त खतरे का सामना कर रहा है। सूत्रों ने बताया कि ओराम ने गांधी को एलएसी की स्थिति और राफेल विमान के बारे में लगातार सवाल पूछने से रोका और कहा कि ये ‘संदर्भ से बाहर’ हैं। हालांकि राहुल ने जोर देकर कहा कि उनके सवाल रक्षा खरीद से जुड़े हैं।
बाद में ओराम ने एलएसी की स्थिति और चीन पर अलग और अधिक विस्तृत चर्चा के गांधी के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि बजटीय आवंटन पर चर्चा पूरी होने के बाद इस मामले को लेकर एक अलग बैठक बुलाई जाएगी। इसी बीच सत्तारूढ़ पार्टी के एक सांसद ने कहा कि गांधी के तर्क अमान्य हैं क्योंकि भारत के पास पर्याप्त हथियार हैं और तीनों राष्ट्रों की परमाणु क्षमता के मद्देनजर विमानों की संख्यात्मक तुलना करना ‘अर्थहीन’ है।
भाजपा सांसद ने कहा, ‘हम टू फ्रंट युद्ध में खुद का बचाव करने में सक्षम हैं। लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि हम रणनीतिक संपत्ति के साथ एक परमाणु सक्षम राष्ट्र भी हैं।’ बैठक के दौरान रक्षा मामलों की संसदीय समिति के सामने रक्षा सचिव और सैन्य अभियानों के महानिदेशक रक्षा क्षेत्र के बजटीय आवंटन और उससे जुड़े विभिन्न प्रावधानों को लेकर प्रजेंटेशन दे रहे थे।
इस दौरान राहुल गांधी ने दोनों अधिकारियों से कुछ सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि भारत देश के जवानों, रक्षा उपकरणों पर चीन और कुछ अन्य देशों की तुलना में कितना पैसा खर्च या निवेश कर रहा है। बता दें कि समिति की पिछली बैठक के दौरान भी राहुल गांधी ने कई शिकायतें की थी। उस समय भी ओराम ने वायनाड से सांसद को टोका था। इसके बाद राहुल बैठक को बीच में ही छोड़कर चले गए थे।