नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी और सख्त प्रोटोकॉल के बीच संसद का बजट सत्र शुक्रवार से शुरू हो रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। वे अपने अभिभाषण में अगले वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की योजना और नीतिगत दृष्टि पर प्रकाश डालेंगे। कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों ने इसका बहिष्कार करने का फैसला लिया है। देश का आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा। अप्रैल के पहले सप्ताह तक चलने वाले इस बजट सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं। विपक्ष किसान आंदोलन, भारत-चीन गतिरोध, गिरती अर्थव्यवस्था, व्हाट्सएप चैट लीक और कृषि कानूनों के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में है। वहीं सरकार भी आक्रामक रुख अपनाने की तैयारी में है।
संसद का यह सत्र बहुत महत्वपूर्ण है
राष्ट्रपति ने कहा, संसद का यह सत्र बहुत महत्वपूर्ण है। देश कोरोना, भूकंप और बाढ़ से उबरा। भारत जब भी एक हुआ असंभव को संभव किया। चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो, हम न झुकेंगे और न रुकेंगे। देश को खतरनाक आपदा से बाहर निकालकर लाए। कोरोना के इस काल पर सीमा पर तनाव भी बढ़ा।
महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमने अनेक देशवासियों को खोया
मुझे संतोष है कि मेरी सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है। आज देश में कोरोना के नए मरीजों की संख्या भी तेजी से घट रही है और जो संक्रमण से ठीक हो चुके हैं उनकी संख्या भी बहुत अधिक है।
महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में हमने अनेक देशवासियों को असमय खोया भी है। हम सभी के प्रिय और मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन भी कोरोना काल में हुआ। संसद के 6 सदस्य भी कोरोना की वजह से असमय हमें छोड़कर चले गए। मैं सभी के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो, न हम रुकेंगे और न भारत रुकेगा। भारत जब-जब एकजुट हुआ है, तब-तब उसने असंभव से लगने वाले लक्ष्यों को प्राप्त किया है।
महामारी के कारण शहरों से वापस आए प्रवासियों को रोजगार देने का अभियान चलाया गया
करीब 31 हजार करोड़ रुपए गरीब महिलाओं के जनधन खातों में सीधे ट्रांसफर भी किए। इस दौरान देशभर में उज्ज्वला योजना की लाभार्थी गरीब महिलाओं को 14 करोड़ से अधिक मुफ्त गैस सिलेंडर भी मिले।
महामारी के कारण शहरों से वापस आए प्रवासियों को उनके ही गांवों में काम देने के लिए मेरी सरकार ने छह राज्यों में गरीब कल्याण रोजगार अभियान भी चलाया। इस अभियान की वजह से 50 करोड़ मौन-डेज के बराबर रोजगार पैदा हुआ।
‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना’ के माध्यम से 8 महीनों तक 80 करोड़ लोगों को 5 किलो प्रतिमाह अतिरिक्त अनाज निशुल्क सुनिश्चित किया गया। सरकार ने प्रवासी श्रमिकों, कामगारों और अपने घर से दूर रहने वाले लोगों की भी चिंता की।
हमें दूसरों पर निर्भरता को कम करना है
आयुष्मान भारत योजना के तहत देश में 1.5 करोड़ गरीबों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला है। इससे इन गरीबों के 30 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा, खर्च होने से बचे हैं। आज देश के 24 हजार से ज्यादा अस्पतालों में से किसी में भी आयुष्मान योजना का लाभ लिया जा सकता है।
मेरी सरकार द्वारा स्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले 6 वर्षों में जो कार्य किए गए हैं, उनका बहुत बड़ा लाभ हमने इस कोरोना संकट के दौरान देखा है।
यदि अपने महत्व को बढ़ाना है तो दूसरों पर निर्भरता को कम करते हुए आत्मनिर्भर बनना होगा। कोरोना काल में बनी वैश्विक परिस्थितियों ने, जब हर देश की प्राथमिकता उसकी अपनी जरूरतें थीं, हमें ये याद दिलाया है कि आत्मनिर्भर भारत का निर्माण क्यों इतना महत्वपूर्ण है।
भारत में चल रहा है दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान
आज देश के 24 हजार से ज्यादा अस्पतालों में से किसी में भी आयुष्मान योजना का लाभ लिया जा सकता है। प्रधानमंत्री भारतीय जन-औषधि योजना के तहत देश भर में बने 7 हजार केंद्रों से गरीबों को बहुत सस्ती दर पर दवाइयां मिल रही हैं।
हमारे लिए गर्व की बात है कि आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान चला रहा है। इस प्रोग्राम की दोनों वैक्सीन भारत में ही निर्मित हैं। संकट के इस समय में भारत ने मानवता के प्रति अपने दायित्व का निर्वहन करते हुए अनेक देशों को कोरोना वैक्सीन की लाखों खुराक उपलब्ध कराई हैं।
अपने सभी निर्णयों में मेरी सरकार ने संघीय ढांचे की सामूहिक शक्ति का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इस समन्वय ने लोकतंत्र को मजबूत बनाया है और संविधान की प्रतिष्ठा को सशक्त किया है।
सरकार ने डेयरी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की स्थापना की
प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत किसानों को 20 लाख सोलर पंप दिए जा रहे हैं। सरकार द्वारा गन्ने के सीरे, मक्का, धान इत्यादि से एथनॉल के उत्पादन को भी बढ़ावा दिया है। पिछले 6 वर्षों में सरकार की सकारात्मक नीतियों के कारण एथनॉल का उत्पादन 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 190 करोड़ लीटर हुआ है।
सरकार ने डेयरी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की स्थापना और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 15 हजार करोड़ के पशुपालन अवसंरचना विकास कोष की स्थापना भी की है।
देश भर में शुरू की गईं किसान रेल, भारत के किसानों को नया बाजार उपलब्ध कराने में नया अध्याय लिख रही हैं। अब तक 100 से ज्यादा किसान रेलें चलाई जा चुकी हैं जिनके माध्यम से 38 हजार टन से ज्यादा अनाज और फल-सब्जियां किसानों द्वारा भेजी गई हैं।
कृषि को और लाभकारी बनाने के लिए मेरी सरकार आधुनिक कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी विशेष ध्यान दे रही है। इसके लिए एक लाख करोड़ रुपए के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड की शुरुआत की गई है।
सदन में पेश होगी आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट
राष्ट्रपति आज संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। इसके बाद बजट सत्र की शुरुआत हो जाएगी। सत्र का पहला चरण 15 फरवरी तक चलेगा। इसमें 12 बैठकें होंगी। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सदन के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 की रिपोर्ट रखेंगी।
इस दशक का भरपूर उपयोग हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोले, इस दशक का आज ये पहला सत्र प्रारंभ हो रहा है। भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए ये दशक बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिए प्रारंभ से ही आजादी के दिवानों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों को, उन संकल्पों को तेज गति से सिद्ध करने का ये स्वर्णिम असवर देश के सामने आया है। इस दशक का भरपूर उपयोग हो।
बजट सत्र: संसद पहुंचे पीएम मोदी, विपक्ष करेगा राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार
16 विपक्षी दल करेंगे राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार
सत्र शुरू होने से पहले ही केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच जोर आजमाइश की जमीन तैयार हो गई है। कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने तीन नए कृषि कानूनों के विरोध और किसान आंदोलन के समर्थन में सत्र के पहले दिन होने वाले राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने की घोषणा की है।
मायावती ने किया सत्र के बहिष्कार का एलान
बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने सत्र का बहिष्कार करने का एलान किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘बीएसपी ने, देश के आंदोलित किसानों के तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग नहीं मानने व जनहित आदि के मामलों में भी लगातार काफी ढुलमुल रवैया अपनाने के विरोध में, आज माननीय राष्ट्रपति के संसद में होने वाले अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला लिया है। साथ ही, कृषि कानूनों को वापस लेकर दिल्ली आदि में स्थिति को सामान्य करने का केंद्र से पुनः अनुरोध तथा गणतंत्र दिवस के दिन हुए दंगे की आड़ में निर्दोष किसान नेताओं को बलि का बकरा न बनाएं। इस मामले में यूपी के बीकेयू व अन्य नेताओं की आपत्ति में भी काफी सच्चाई है। सरकार ध्यान दे।’