श्रीराम मंदिर निर्माण में सहयोग करना ऐतिहासिक कार्य- चंपत राय

प्रेस को संबोधित किया चम्पत राय ने    

रायपुर। देश में श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान गत मकर संक्रांति 15 जनवरी 2021 से माघी पूर्णिमा 27 फरवरी 2021 तक सम्पन्न होने जा रहा है। इस अभियान के तहत विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महामंत्री चम्पत राय अपने रायपुर प्रवास के दौरान पंडरी स्थित विश्व हिंदू परिषद कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि दीर्घजीवी और मजबूत मंदिर का निर्माण कार्य जनवरी से प्रारंभ हो गया है जिसे 36 से 39 महिनों में पूर्ण कर लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बिना लोहे के उपयोग के पत्थरों से बनने वाले मंदिर के डिजाइन और समस्त तकनीकी सहयोग करने देश की श्रेष्ठ संस्थाएं जैसे आईआईटी दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, सेन्ट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट, टाटा, एल एण्ड टी, समन्वय के साथ काम कर रही हैं।

श्री चंपत राय ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण करने का अवसर 500 वर्षों के कड़े संघर्ष और हजारों के बलिदान देने के बाद आया है। मंदिर का निर्माण देश में विदेशी आक्रांताओं से मुक्ति का प्रतीक है। यह बाबर के आक्रमण के कलंक को मिटाएगा। इस ऐतिहासिक महत्व के कार्य के लिए देश भर से करोड़ों लोगों का सहयोग मिल रहा है। श्रीराम जन्मभूमि निधि समर्पण समिति के द्वारा प्रत्येक राज्य, शहर, गांव तक पहुंच कर आधी आबादी से सहयोग प्राप्त करने का प्रयास कर रही है। निधि संग्रह का काम मकर संक्रांति से प्रारंभ कर माघ पूर्णिमा रविदास जयंती 27 फरवरी तक किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में 31 जनवरी को एक दिन में निधि समर्पण करने का कार्य किया जाएगा। इस दिन कार्यकर्ता घर घर जाकर समर्पण निधि का संग्रह करेंगे।

एक प्रश्न का उत्तर देते हुए उन्होंने कहा कि निधि संग्रह करने की तिथि तय संग्रह करने कार्यकर्ताओं की सुविधा के लिए है, कोई तय समय के बाद भी राशि समर्पित कर सकता है। एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि राशि समर्पण करने में सरकार को शामिल नहीं किया है लेकिन सरकार में शामिल व्यक्ति भी आम आदमी का हिस्सा है इसलिए एक व्यक्ति होने के रूप में सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ श्रीराम का ननिहाल है इस नाते यहां कार्यकर्ता अधिक उत्साहित हैं हालांकि समिति देश के सभी हिस्सों को एक दृष्टि से देखती है क्योंकि श्रीराम पूरे देश के हैं।

 

 

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