रायपुर : मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान की बड़ी कामयाबी के बाद पूरे प्रदेश को मलेरिया से मुक्त करने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत 15 दिसम्बर 2020 से 20 जनवरी 2021 तक बस्तर संभाग के 29 विकासखंडों में अभियान का तीसरा चरण तथा सरगुजा संभाग के 26 विकासखंडों में पहला चरण संचालित किया गया।
बस्तर संभाग के 29 विकासखंडों में अभियान का तीसरा चरण तथा सरगुजा संभाग के 26 विकासखंडों में पहला चरण पूरा
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने इस दौरान दोनों संभागों के 2309 गांवों के तीन लाख तीन हजार 393 घरों तक पहुंचकर कुल 14 लाख 27 हजार 358 लोगों की मलेरिया जांच की। जांच के बाद पॉजिटिव पाए गए मरीजों का मौके पर ही इलाज शुरू किया गया। अभियान के अंतर्गत दोनों संभागों की कुल 15 लाख 70 हजार से अधिक की आबादी को कवर किया गया।
दोनों संभागों के 2309 गांवों के 3.03 लाख घरों में मलेरिया की जांच, पॉजिटिव पाए गए मरीजों का तत्काल इलाज
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अपील पर मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान को जन अभियान के रूप में विस्तारित किया गया है। स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव वरिष्ठ विभागीय अधिकारियों और बस्तर व सरगुजा संभाग के सभी जिलों के कलेक्टरों की बैठक लेकर अभियान की शत-प्रतिशत सफलता के लिए लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर आवश्यक दिशा-निर्देश देते रहे हैं।
पहले और दूसरे चरण की तुलना में तीसरे चरण में मिले कम मरीज
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, छत्तीसगढ़ द्वारा मलेरिया मुक्त बस्तर अभियान का पहला चरण पिछले साल जनवरी-फरवरी में तथा दूसरा चरण जून-जुलाई में संचालित किया गया था। इस अभियान का वहां व्यापक असर दिखा है और मलेरिया के मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। प्रथम चरण में मलेरिया की पॉजिटिविटी दर (जांच धनात्मक दर) 4.6 प्रतिशत थी जो दूसरे चरण में घटकर 1.27 प्रतिशत हो गई। अभी तीसरे चरण में कुल जांच धनात्मक दर और घटकर 1.04 प्रतिशत हो गई है।
अभियान के प्रारम्भ से ही क्षेत्र भ्रमण और साप्ताहिक वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इसके क्रियान्वयन की सतत समीक्षा कर रहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया कि मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत बस्तर संभाग में तीसरे चरण में स्वास्थ्य विभाग के मैदानी अमलों द्वारा सात जिलों बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव और कांकेर में दस लाख 57 हजार 682 लोगों की जांच की गई। इस दौरान पॉजिटिव पाए गए 14 हजार 828 मरीजों का तत्काल उपचार शुरू किया गया। पूर्ण इलाज सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने मरीजों को दवा की पहली खुराक अपने सामने ही खिलाई। स्थानीय मितानिनों द्वारा मलेरिया पीड़ितों के फॉलो-अप खुराक सेवन की निगरानी भी करवाई गई।
मलेरिया परजीवी को समूल खत्म करने के लिए सरगुजा संभाग में पहली बार गहन अभियान शुरू किया गया है। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के तहत वहां पहले चरण में संभाग के पांचों जिलों सरगुजा, कोरिया, जशपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज और सूरजपुर में तीन लाख 69 हजार 676 लोगों की जांच की गई। इस दौरान पॉजिटिव पाए गए 22 लोगों का त्वरित इलाज किया गया। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के दौरान दोनों संभागों को मिलाकर पॉजिटिव पाए गए कुल 14 हजार 850 लोगों में करीब 59 प्रतिशत ऐसे थे जिनमें मलेरिया के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे थे। अलाक्षणिक मलेरिया अनीमिया और कुपोषण का कारण बनता है। बस्तर संभाग में पहले चरण में मलेरिया पॉजिटिव पाए गए 57 प्रतिशत और दूसरे चरण में 60 प्रतिशत लोग भी बिना लक्षण वाले थे। मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान मलेरिया के साथ ही अनीमिया और कुपोषण दूर करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
बस्तर और सरगुजा संभाग को मलेरिया मुक्त करने अभियान के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा इसकी लगातार समीक्षा की जा रही है। इसके सफल संचालन के लिए तीसरे चरण में कुल 2069 सर्वे दल गठित किए गए थे। इनमें बस्तर संभाग के 1380 और सरगुजा संभाग के 689 दल शामिल हैं। सर्वे दलों द्वारा जाँच एवं उपचार के साथ-साथ लोगों को एल.एल.आई.एन. मच्छरदानी के उपयोग की जानकारी दी गई। घरों में मच्छर लार्वा स्रोत नियंत्रण गतिविधियां भी संचालित की गईं। मलेरिया जांच से कोई घर या व्यक्ति न छूटे, इसके लिए प्रत्येक घर एवं व्यक्ति की मार्किंग भी की गई थी।