पत्रकारों को भी कोरोना तो होना ही था.. 

रमण रावल ( वरिष्ठ पत्रकार ) 

आखिरकार इंदौर में एक पत्रकार भी कोरोना वायरस की चपेट में आ गया। वह काफी समय से मैदानी रिपोर्टिंंग कर रहा था और अति उत्साह में एक संक्रमित व्यक्ति के साथ रिपोर्टिँग करते हुए ऐसी जगह पर भी जाता रहा, जहां गंभीर रूप से कोरोना संक्रमित मरीज रखे जा रहे हैं या जो इलाका संक्रमित रहा है। उनके सहित इंदौर में संक्रमित लोगों की तादाद 400 पार निकल चुकी है और 39 लोगों की मौत हो चुकी है। इंदौर में पत्रकारों को लगातार आगाह किया जा रहा था कि वे अपने दायित्व निर्वहन में सावधानी बरतें, लेकिन एक साथी इससे बच न सका।
मप्र मेें इंदौर शुरुआत से ही उच्च खतरे की जद में रहा है। हालांकि लॉक डाउन के बाद बाजारों के बंद होने के साथ ही अखबारों के वितरण पर भी असर तो हुआ है, लेकिन ज्यादातर अखबार प्रबंधन प्रकाशन व वितरण जारी रखे हुए हैं। सूचना के इस सबसे बड़े माध्यम पर सरकारी स्तर पर कोई रोक-टोक भी नहीं रही। बावजूद इसके इस बात पर चर्चा होती रही कि लॉक डाउन में जब तमाम तरह की वितरण व्यवस्था बंद या बेहद सीमित कर दी गई है, तब क्या अखबारों का वितरण भी बंद कर देना चाहिये? यह और बात है कि सभी प्रबंधन ने इस  पर कान नहीं दिया और न्यूनतम प्रसार संख्या के बावजूद प्रकाशन जारी रखा और अंतत: दैनिक भास्कर के पत्रकार देव कुंडल इसकी चपेट में आ गये। इस बारे में उन्होंने खुद साथियों को संदेश भेजकर बताया।
हाल ही में इंदौर प्रेस क्लब ने भी हालात के मद्देनजर पत्रकारों के जमावड़े को रोकने के लिये 24 अप्रैल तक प्रेस क्लब को पूरी तरह से बंद कर दिया। इससे पहले यहां मैदान में रहने वाले साथियों के लिये चाय-नाश्ते-खाने की व्यवस्था रहती थी और सुस्तान के लिये भी पत्रकार यहां चले आते थे, जो लॉक डाउन की भावना के प्रतिकूल हो रहा था। इस बारे में प्रेस क्लब ने अपील जारी करते हुए कहा कि यह स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। भोपाल और देवास में भी एक पत्रकार साथी को कोरोना पॉजीटिव पाया गया है।  प्रेस क्लब को अपने  सदस्यों की चिंता थी। देखने में आ रहा था कि लगातार समझाने के बाद भी हम प्रेस क्लब में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे। इसमें थोड़ी सी भी चूक हमारे जीवन के लिए घातक सिद्ध हो सकती है। इस सब के मद्देनजर 24 अप्रैल तक प्रेस क्लब पूरी तरह बंद रहेगा। इस दौरान भोजन , नाश्ता , चाय की व्यवस्था भी  नही रहेगी और सामूहिक एकत्रीकरण बिल्कुल नहीं हो पाएगा। शहर में मूवमेंट के दौरान पार्किंग का उपयोग आप अपनी सुविधा के लिए कर सकते है।
इस संबंध में इंदौर के आई टी विशेषज्ञ समीर शर्मा ने भी पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि साहस और दुस्साहस में अंतर है। एक में जीवन है और दूसरे मेें जीवन जाने का खतरा। प्रशासन अधिकारी, डॉक्टर, पुलिस और निगम कर्मियों के बाद पत्रकार मित्र ही हैं जो लगातार , दिन रात अपनी ड्यूटी सही खबरों को कवर करने, उन्हें न्यूज़ पेपर में छपने, चैनल पर चलाने के लिए कंटेंट संग्रहित कर पहुंचा रहे हैं। इस दौरान एक छोटी सी चूक जानलेवा होगी। संस्थान के पास दूसरा पत्रकार आ जायेगा पर आपके परिवार के पास दूसरा सदस्य नहीं। अत: सभी पत्रकार साथियों से निवेदन है कि वे अपना पूरा ध्यान रखें । हमें पता है कि हमारे कुछ पत्रकार मित्र भी इस संक्रमण का शिकार हो गए हैं।
समीर शर्मा ने पत्रकारों के लिये कुछ हिदायतों का पालन करने का आग्रह किया है।
1) पीपीई किट्स या फेशियल शील्ड के बिना रिपोर्टिंग न करें।
2) अपने हाथों को सेनेटाइज़ करते रहें।
3) किसी सामान, रेलिंग, वाहन को न छुएं।
4) अपने कैमरा , बैटरी पैक्स, माइक आदि के हैंडल्स को सैनिटाइजर से साफ करते रहें।
5) प्रिवेन्टिव मेजर्स के तौर पर क्लोरोक्वीन, होम्योपैथी की गोलियां ले लें।
6) घर के खाने और पानी के अलावा बाहर का उपलब्ध कुछ न खाएं या पीएं।
7) अधिकारियों, डॉक्टरों के इंटरव्यू लेते हुए उचित दूरी बनाए रखें।
8) अल्टरनेटिव दिनों में शिफ्ट बदलते रहें ताकि बॉडी को पूर्ण आराम मिलता रहे।
9) थर्मस में नींबू पानी या गर्म पानी रखें।
10) सबसे पहले न्यूज़ फ़्लैश करने की बेवजह कंपीटिशन के चलते अपने अमूल्य जीवन को खतरे में न डाले, आपके पीछे आपका परिवार है जो आपसे ही चलता है

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