वॉशिंगटन : भारत कोरोना महामारी के भयंकर प्रकोप से जूझ रहा है। यहां हर तरफ संक्रमण की दूसरी लहर से हाहाकार मचा हुआ है, लेकिन इस घातक बीमारी के खिलाफ जंग में देश अकेला नहीं है। भारत को संकट की स्थिति से बाहर निकालने के लिए कई देश व नामी हस्तियां आगे आ रही हैं। इसी कड़ी में अमेरिका की शीर्ष 40 कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईओ) ने भी मदद का हाथ बढ़ाते हुए एकजुटता का बड़ा उदाहरण पेश किया है। बता दें कि इन 40 कंपनियों के सीईओ ने एक वैश्विक टास्क फोर्स बनाई है, ताकि वे भारत की मदद के लिए संसाधन जुटा सकें।
डेलोइट के सीईओ पुनीत रंजन ने कहा कि यूएस चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स की यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल और यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक एंड पार्टनरशिप फोरम की सोमवार को यहां हुई बैठक में सामूहिक पहल के तहत बनी टास्क फोर्स ने अगले कुछ हफ्तों में भारत में 20 हजार ऑक्सीजन मशीनें भेजने की प्रतिबद्धता जताई। महामारी पर यह वैश्विक टास्क फोर्स भारत को अहम चिकित्सा सामान, टीके, ऑक्सीजन और अन्य जीवन रक्षक सहायता मुहैया कराएगा।
अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने किया ट्वीट
किसी देश में जन स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए बने अपनी तरह के पहले वैश्विक टास्क फोर्स को लेकर अमेरिका के विदेश मंत्री टोनी ब्लिंकन ने अपनी प्रतिक्रिया दी। ब्लिंकन ने एक ट्वीट कर कहा कि यह बातचीत दिखाती है कि कैसे भारत के कोविड-19 संकट के समाधान के लिए अमेरिका और भारत अपनी विशेषज्ञता और क्षमताओं का लाभ उठा सकते हैं।
रंजन ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सप्ताहांत में अमेरिका की कई कंपनियां एक साथ आईं। हम हर संभव मदद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहली लहर से सफलतापूर्वक निपटने के बाद हम बहुत आश्वस्त हैं, हमारा मनोबल ऊंचा है, लेकिन इस लहर ने देश को हिला दिया है। अब हमारी जिम्मेदारी किसी भी तरीके से इससे निपटने की है।’
रंजन ने कहा कि सबसे जरूरी ऑक्सीजन और उसके कंसनट्रेटर्स हैं। उन्होंने बताया कि वे अगले कुछ हफ्तों में भारत में 20 हजार ऑक्सीजन कंसनट्रेटर्स भेजेंगे। साथ ही कहा कि पहली 1,000 मशीनें इस हफ्ते तक पहुंच जाएंगी और पांच मई तक अन्य 11 हजार मशीनों के पहुंचने की संभावना है। उन्होंने कहा कि दूसरा मुद्दा 10 लीटर और 45 लीटर की क्षमता से ऑक्सीजन सिलेंडर भेजने का है।