{किश्त 34}
अविभाजित मप्र के दो तथा छत्तीसगढ़ के एक सीएम को बाद के चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था।मप्र के सीएम रहे पं. श्यामाचरण शुक्ला तो बतौर सीएम ही पवन दीवान से विधानसभा चुनाव हार गये तो छ्ग बनने के बाद लोकसभा चुनाव में रमेश बैस से पराजय का सामना करना पड़ा तो मप्र के सीएम रहे मोतीलाल वोरा भी बाद में लोकसभा चुनाव डॉ रमन सिह से हार गये थे वहीं छ्ग के पहले सीएम अजीत जोगी ने पहले लोकसभा चुनाव में कद्दावर नेता विद्या चरण शुक्ल को पराजित किया,फिर उसी लोकसभा क्षेत्र से पराजय का भी सामना करना पड़ा था।
श्यामाचरण शुक्ला
1977 में आपातकाल के बाद विधानसभा चुनाव हुए तो मप्र में कांग्रेस बुरी तरह हारी….खुद मुख्यमंत्री श्यामाचरण राजिम सीट से जनता पार्टी के संत कवि पवन दीवान से चुनाव हार गए थे,यह श्यामाचरण शुक्ल की पहली हार थी फिर रमेश बैस ने वर्ष 2004 में श्यामाचरण शुक्ल को लोकसभा चुनाव में रायपुर क्षेत्र से पराजित किया था और वर्ष 2009 में छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हरा दिया था।
मोतीलाल वोरा
अविभाजित मप्र के सीएम रह चुके मोतीलाल वोरा को 1999 के राजनांदगाव लोकसभा चुनाव में रमन सिंह के हाथों पराजित होना पड़ा,वोराजी पहली और आख़री बार यह चुनाव हारे थे,वैसे हारने के बाद उन्हें पुनर्वास की जरूरत थी। सोनियागाँधी ने 2002 में उन्हें राज्यसभा भेज दिया। वैसे विधानसभा चुनाव हारने के बाद वोराजी को हराने के बाद डॉ रमन सिंह,अटलजी के मंत्रिमंडल में शामिल हुए, छ्ग राज्य बनने के बाद 15 साल तक सीएम भी रहे…।
अजीत जोगी
आईपीएस,आईएएस, राज्यसभा,लोकसभा होकर अजीत जोगी छत्तीसगढ़ राज्य के पहले सीएम बने और बाद में उप चुनाव जीतकर विधायक बने।बाद में छत्तीसगढ़ की महासमुंद लोकसभा सीट पर 2004 के चुनाव में देश के कद्दावर नेता विद्याचरण शुक्ल को पराजित किया,जोगी, कांग्रेस से तो शुक्ल भाजपा से प्रत्याशी थे।2014 से पहले ये रिकॉर्ड रहा है कि किसी पार्टी को लगातार दो बार जीत नहीं मिली थी। लेकिन भाजपा के चंदूलाल साहू ने इस मिथक को तोड़ने में कामयाबी पाई।2014 में महासमुंद से दोबारा चुनाव जीतने वाले भाजपा के चंदूलाल साहू ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता एवं छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी को महज 1217 वोटों के बेहद कम अंतर से हराया था। इस सीट पर विद्याचरण शुक्ल ने सर्वाधिक 6 बार जीत हासिल की तो वहीं भाजपा के चंद्रशेखर साहू के नाम 3 बार हारने का भी रिकॉर्ड है।दिग्गज कांग्रेसी नेता विद्याचरण शुक्ल ने यहीं से अपने राजनैतिक करियर की शुरुआत की थी।बतौर सांसद अपने 9कार्यकाल में से विद्याचरण शुक्ल ने अपने पहले चुनाव समेत 6 चुनाव महासमुंद से ही जीते थे। 2004 में जब वे राकाँपा होकर भाजपा में शामिल हो गये थे।वे इसी निर्वाचन क्षेत्र में लौटकर आए, लेकिन कांग्रेस के अजीत जोगी से हार गए।इस चुनाव में चंदूलाल साहू नाम के11उम्मीदवार थे।कहा
जाता है कि इनको चुनाव लड़ाने के पीछे अजीत जोगी की भूमिका थी…?