लंदन : भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व में 13 बैंकों के कंसोर्टियम ने भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के खिलाफ लंदन हाईकोर्ट में दिवालिया आदेश बढ़ाते हुए कहा, माल्या द्वारा 9,834 करोड़ रुपये चुकाने का प्रस्ताव बेतुका है। बैंकों ने मंगलवार को हुई सुनवाई में कहा, माल्या के खिलाफ दिवालिया कानून के तहत कार्रवाई बेहद जरूरी है।
हाईकोर्ट के जस्टिस माईकल ब्रिग्स के समक्ष भारतीय बैंकों की ओर से पैरवी कर रहीं मर्सिया शेकरदिमियां ने कहा, माल्या के खिलाफ दिवालियापन आदेश इसलिए भी जरूरी है क्योंकि उसने खुद बैंकों को सुरक्षित ऋणदाता नहीं बताया था।
जस्टिस ब्रिग्स ने ही अप्रैल में आदेश में कहा था कि माल्या को तब तक समय दिया जाना चाहिए जब तक भारत में उसके खिलाफ दिवालिया मामले में फैसला नहीं आ जाता। इसलिए इसमें शक नहीं किया जाना चाहिए कि इस मामले में दिवालिया कानून के तहत आदेश जरूरी है। मर्सिया ने कहा, माल्या के सभी तर्क बेतुके और निराधार हैं।
बैंक के वकील ने कहा, यूनाइटेड ब्रेविरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (यूबीएचएल) की जिन संपत्तियों को माल्या ने अपने प्रस्ताव में शामिल किया था उन पर अधिकारिक लिक्विडेटर का नियंत्रण है। ये संपत्ति माल्या या यूबीएचएल के पूर्व प्रबंधन के लिए उपलब्ध नहीं हैं। इससे साफ है कि माल्या का प्रस्ताव बेतुका है। इस पर माल्या के वकील फिलिप मार्शल ने कहा, बैंक सुरक्षित ऋणदाता हैं और इस याचिका को खारिज कर दिया जाना चाहिए।